अब नहीं तो फिर कब? अतिशयकारी पारस प्रभु के 2900वें जन्मकल्याणक पर महामस्तकाभिषेक से ऊर्जा पॉवर पायें, सौभाग्य से स्कूटी जीत ले जायें

0
272

02 जनवरी 2024 / पौष कृष्ण दौज /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/शरद जैन /
2023 की श्रावण शुक्ल सप्तमी वह ऐतिहासिक दिन था, जिसे जैन समाज लगभग भूल गया। सबसे लोकप्रिय तीर्थंकर, सबसे छोटे तीर्थकाल के बावजूद और उनका 2900वां मोक्ष कल्याणक था। सम्भवत: गणिनी आर्यिका श्री ज्ञानमति माताजी द्वारा बड़ी मूर्ति, अयोध्या के अलावा कहीं से कोई सूचना नहीं, किसी को जानकारी नहीं, यह अज्ञानतावश था या भूलवश या गैर जिम्मेदारना सोच। जहां जी-20 में सरकार ने जैन संस्कृति को 2650 सालों में ही सीमित कर दिया – वह एकदम गलत है। ऐसे में जिन तीर्थंकरों की जन्म-मोक्ष तिथि की गणना ज्ञात है, उनके तो जोर-शोर से पूरे प्रचार से महोत्सव के रूप में मनाये ही जाने चाहिये।

इतिहास के पन्नों से उजागर करनी होगी जैन संस्कृति

वैसे तो गणना की शुरूआत सबसे प्राचीन वीर संवत से करें, तो तीर्थंकर वर्द्धमान स्वामी से ही ज्ञात हो पाती है, पर उसको मानक मानते हुए पूर्व की गणना की जाती है। ऐसे में वर्तमान जिनशासन नायक महावीर स्वामी से महज 250 वर्ष पूर्व सिद्धालय गये 23वें तीर्थंकर श्री पारसनाथ जी के कल्याणक को मनाना, प्रचारित करना, जैन संस्कृति के पुरातन की दृष्टि से भी अति महत्वपूर्ण है। आज अपनी सनातन संस्कृति को पहचान को दबे हुए इतिहास के पन्नों से उजागर करना अति महत्वपूर्ण हो गया है।
इसी कड़ी में महत्वपूर्ण है उत्तम क्षमा को परिभाषित करने वाले 23वें तीर्थंकर श्री पारसनाथ जी का अगामी पौष कृष्ण एकादशी को 2900वां जन्म कल्याणक मनाना। इसका शंखनाद हुआ है सबसे पहले राजधानी दिल्ली के ऐतिहासिक श्री लालमंदिर अतिशयकारी तीर्थ पर विराजमान आचार्य श्री अतिवीर जी मुनिराज द्वारा।

तीर्थंकरों के कल्याणकों में उनकी गणना जोड़कर लिखें
2024 के ईसा कलेण्डर के नये वर्ष के पहले रविवार, 07 जनवरी को आ रहा है 23वें तीर्थंकर श्री पारसनाथ जी का 2900वां जन्म कल्याणक और यही से प्रण कर लें कि भविष्य में गिरनार धरा को अपने तप व मोक्ष से पावन करने वाले 22वें तीर्थंकर श्री नेमिनाथ व श्री सम्मेद शिखर जी को पारसनाथ हिल के नाम से सुविख्यात करने वाले 23वें तीर्थकर श्री पारसनाथ के कल्याणकों को उनकी गणना जोड़कर ही मनायें, यह जिम्मेदारी, पूरे जैन समाज को निभानी होगी, तभी अपनी संस्कृति की प्राचीनता व सनातन को गौरवशाली रूप से सहेज कर रखा जा सकेगा, वर्ना कोशिशें तो शुरु हो ही गई हैं कि जैनों की विशालता को संकुचित कर 2650 वर्ष से ही समेट कर वैदिक संस्कृति की लकीर को पूरा लम्बा दिखाया जाये।

सुपर सण्डे – सबसे लोकप्रिय तीर्थंकर का मनायें 2900वां जन्म कल्याणक

नववर्ष के पहले रविवार को ‘सुपर सण्डे’ बनाता है, अति पावन दिन है, महामहोत्सव का दिन है, हो क्यों ना, सबसे लोकप्रिय, और देश नहीं, विश्व के लगभग हर जिनालय, हर तीर्थ पर जिनकी प्रतिमा विराजमान है, ऐसे 23वें तीर्थंकर श्री पारसनाथ जी का 2900वां जन्म-कल्याणक जोर-शोर से, धूमधाम से व प्रचार-प्रसार के साथ, पूरे धार्मिक परिवेश में मनाकर ‘भरत चक्रवर्ती’ के नाम पर कहलाये गये ‘भारत’ में ही नहीं, पूरे विश्व को बताना है, जन-मानस के मस्तिष्क पटल पर चिर अंकित करना है, यह 2900वां जन्म कल्याणक है, 23वें तीर्थकर का।

‘दिल्ली’ के ‘महाराज’ दे रहे हैं दिल्ली वालों को अभूतपूर्व पुण्यार्जन अवसर ‘कलशा ढालो रे’

दिल्ली के ऐतिहासिक लाल मंदिर जी में इसे अभूतपूर्व तरीके से मनाया जाने की जोरदार शुरुआत की है। दिल्ली के महाराज से विख्यात आचार्य श्री अतिवीर जी इसे अपने पिछले नजफगढ़ के जैन मेला, बड़ागांव व बैंक एन्कलेव के नववर्ष महोत्सव की तरह ऐतिहासिक बनाना चाहते हैं। तीर्थंकर पार्श्वनाथ के इस जन्म कल्याणक को जैन नहीं, जैनेत्तर समाज में भी अविस्मरणीय बनाना है। इसके लिये पालम से 432 वर्ष लाल मंदिर में विराजित की गई श्वेत पदमासन अतिशयकारी पारस प्रभु की प्रतिमा का 2900 कलशों से महामस्तकाभिषेक किया जायेगा। इस महामस्तकाभिषेक से पुण्यार्जन के लिए 1100 रुपये सहयोग राशि रखी गई है और हर पुण्यार्जक को कलश भेंट स्वरूप मिलेगा। यह कार्यक्रम सुबह सात बजे शुरु होगा और संभावना है ‘कलशा ढालो रे’ कार्यक्रम शाम तक निर्बाध रूप से चलता रहेगा

पॉजीटिव ऊर्जा को पॉवरफुल बनाने का स्रोत हैं अतिशयकारी प्रतिमायें

आचार्य श्री अतिवीर जी ने सांध्य महालक्ष्मी को इस विषय में पूरी ऐतिहासिक जानकारी देते हुए बताया कि मूल वेदी में विराजित पारस प्रभु का महामस्तकाभिषेक 432 सालों से आज तक नहीं हुआ, अपनी पॉजीटिव ऊर्जा को पॉवर फुल बनाने के लिये ऐसी अतिशयकारी प्रतिमायें ऊर्जा स्रोत का भण्डार हैं।

इन प्रतिमाओं में ऊर्जा का संग्रहण कैसे होता है? सांध्य महालक्ष्मी की इस जिज्ञासा पर आचार्य श्री अतिवीर जी ने बताया कि जिनालय की नींव में शिलान्यास के दौरान अभिमंत्रित शिलायें, परमेष्ठी की 5 शिलायें, चांदी का स्वास्तिक, पारा, नवरत्न, मंगल कलश, दीपक, अष्ट द्रव्य पूजन आदि जब मंत्रों के साथ पुण्यवर्धक वर्गणाओं का जो आधार बनता है, वो पूरे जिनालय को रिचार्ज करता है और जिनबिम्ब सुपर चार्ज होकर अपनी वर्गणाओं से सब को गौरवान्वित करता है। श्री लालमंदिर जी में प्राचीन मूल वेदी के पारस प्रभु महाअतिश्यकारी है, उन्हीं की यक्षिणी पद्मावती भी मनोकामनायें पूरी करती है। श्रावकों को लालमंदिर के इतिहास में पहली बार अपनी पॉजीटिव ऊर्जा में सुपर पावर बनाने के लिये महामस्तकाभिषेक का अनुपम, अद्वितीय, अनूठा अवसर मिल रहा है। ऐसा सौभाग्य 432 सालों बाद पहली बार मिला है और आगे जीवन में मिले या ना मिले कुछ नहीं क हा जा सकता।

ऐसे अद्वितीय अपनी ऊर्जा को कई गुणा करने का सौभाग्य है यह अवसर और भेंट में कलश भी। सपरिवार आये और पूरे दिन भजन-संगीत के साथ भजन सम्राट रूपेश जैन, एम्बेसी ग्रुप के संजय जैन संगीतकार आप को मंत्र मुग्ध करेंगे। यही नहीं अपने भाग्य को सौभाग्य बनाने के लिये बड़े इनामों की भी नि: शुल्क बरसात होगी 23 को, पुरस्कारों में शामिल हैं – एक्टिवा स्कूटी, बाईसाइकिल, चिमनी, वाशिंग मशीन, फ्रिज, टीवी, स्पीकर सिस्टम मिक्सी-जूसर, ओवन, फ्लोर क्लीनर, कलर प्रिंटर आदि। उन भजन संगीत लहरियों के बीच-बीच में इनामों को लकी ड्रॉ द्वारा निकाला जायेगा। हर पहुंचने वाले व्यक्ति को वहीं पर लकी ड्रा कूपन नि:शुल्क लेना होगा, जिसके लिये वोट की तरह ऊंगली पर स्याही लगेगी और वहां मौजूद लकी ड्रा कूपन धारियों में से ही इनाम निकाला जायेगा।

भरपूर भक्ति-पुण्यार्जन : पुरानी दिल्ली के भरपूर व्यंजन

अब तैयारी कीजिये, परिवार ही नहीं मित्रों को भी साथ ले जाने के लिये। भजन के साथ लजीज भोजन की भी पूरी व्यवस्था है। पुरानी दिल्ली के व्यंजन मशूहर है और एक से एक लजीज व्यंजन का आनंद आपको यहां मिलेंगे। भरपूर भक्ति, भरपूर पुण्यार्जन और भरपूर व्यंजन यानि सोने पे सुहागा। जितने ज्यादा आपके परिजन होंगे उतने इनाम के अवसर ज्यादा होंगे। बस मौका छोड़ना मत, मेट्रों या बस से आयें, पर जाये एक्टिवा स्कूटी पर, बस ऐसी ही शुभकामनायें।

हां, एक राज की बात और बता दें, इस दिन जल्दी पहुंचे, वर्ना नजफगढ़ के जैन मेले की तरह हो सकता है यहां चांदनी चौक में भी भीड़ होने के लिये एण्ट्री ही न मिले। तब भी नजफगढ़ मेले से इतने हजारों जैन अंदर थे, उससे कई गुना बाहर सड़कों पर किलोमिटरों जाम में ही फंसे रहे। इस बार चांदनी चौक एरिया भी पूरा जाम होने की संभावना है। बस नववर्ष का पहला रविवार, ऊर्जा को कई गुना बढ़ाने और बड़े इनामों की बरसात में अपना सौभाग्य आजमाने का अवसर पूरी फैमिली के साथ बस 07 जनवरी 2024, लाल मंदिर के नाम, पारस प्रभु के नाम समर्पित।