सुप्रसिद्ध #पपौरा जैन तीर्थ के ट्रस्ट संबंदी विवाद को लेकर दायर याचिका में लम्बी बहस के पश्चयात ट्रस्टीओं द्वारा दायर रिट याचिका में अंतरिम राहत की मांग ख़ारिज

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सुप्रसिद्ध जैन तीर्थ टीकमगढ़ के ट्रस्टियों को अंतरिम राहत देने से उच्च-न्यायालय का इंकार

लम्बी बहस के पश्चात कलेक्टर के आदेश एवं आपराधिक कार्यवाहियों पर रोक की प्रार्थना अमान्य

जबलपुर / टीकमगढ़ | मध्य प्रदेश उच्च-न्यायालय के माननीय न्यायाधीश श्री संजय द्विवेदी की एकल पीठ ने टीकमगढ़ स्थित सुप्रसिद्ध पपौरा जैन तीर्थ के ट्रस्ट संबंदी विवाद को लेकर दायर याचिका में लम्बी बहस के पश्चयात ट्रस्टीओं द्वारा दायर रिट याचिका में अंतरिम राहत की मांग को ख़ारिज कर दिया एवं अपराधिक कार्यवाहियाँ जो पुलिस द्वारा की जा रही थी उस पर भी रोक लगाने से इंकार कर दिया। न्यायालय द्वारा पारित विस्तृत अंतरिम आदेश में याचिका कर्ताओं द्वारा ट्रस्ट को भंग करने के जो अनुविभागि अधिकारी एवं कलेक्टर टीकमगढ़ द्वारा जो निर्देश पारित किये थे उनके क्रियान्वन पर भी रोक लगाने से इंकार कर दिया गया। हाल ही में डिप्टी कलेक्टर, टीकमगढ़ द्वारा तीर्थ को चलाने वाली सार्वजनिक न्यास को भंग कर उस पर प्रशाषक को नियुक्त करने की अनुशंसा कलेक्टर को की थी | साथ ही एवं सभी न्यास-धारियों (ट्रस्टीज़) के विरुद्ध आर्थिक एवं अन्य अनियमित्ताओं के चलते उनके विरुद्ध धोखा-धड़ी, जाल-साजी, अमानत में खयानत, न्यास भंग करने एवं अन्य गंभीर आरोपों पर आपराधिक कारवाही करने की भी अनुशंषा की थी। इसके विरुद्ध न्यास-धारियों ने उच्च-न्यायालय में डिप्टी कलेक्टर द्वारा पारित आदेश पर रोक लगाने की प्राथना करते हुऐ रिट याचिका दायर की जिस पर गुरुवार (1 जुलाई ) को लगभग डेढ़ घंटा सुनवाई हुई। एकल पीठ द्वारा पूर्व में कई तिथियों पर प्रकरण की अंतिरम राहत पर सुनवाई जून के अंतिम सप्ताह में की गयी। शिकायतकर्ता सकल दिगम्बर जैन महिला मंडल टीकमगढ़ की ओर से अधिवक्ता सिद्धार्थ राधेलाल गुप्ता उपस्थित हुए, जिन्होंने याचिका की पोशनीयता पर आपत्ती ली एवं अंतरिम राहत को कठोरता से विरोध किया।

क्या है प्रकरण:
टीकमगढ़ स्थित जैन तीर्थ जैन धर्मावलंबियों का बहुत बड़ा तीर्थ है, जिसके अंतर्गत लगभग 35 जैन मंदिर, स्कूल, गौशालाएं, धर्मशालाएं एवं इस तरह से से लग भग 2 से 3 अरब रुपयों की चल एवं अचल सम्पत्तियाँ है। आचार्य श्री विद्यासागर जी का इस तीर्थ में कई बार प्रवास हो चुका है, जिसके चलते तीर्थ का अत्यंत धार्मिक महत्व है। यहाँ तीर्थ 30 हज़ार से ज़्यादा जैन धर्म के परिवारों की आस्था का केंद्र है। सकल दिगम्बर जैन महिला मंडल द्वारा गत वर्ष कलेक्टर को शिकायत करते हुए कहा गया कि ट्रस्ट मे करोड़ो रूपये की हेरा फेरी, गड़बड़ियाँ एवं घोटाले हो रहे है; यह भी कहा गया कि नगद राशियों के दाम का कोई हिसाब किताब नही है एवं स्कूलों एवं प्रतिभास्थली के संबंध में जो 25 करोड़ रुपये का दान जैन धर्मावलंबियों द्वारा दिया गया था वह भी खुर्द बुर्द कर दिया गया एवं महिलाओं हेतु प्रतिभास्थली एवं स्कूल का संचालन नही किया जा रहा।

प्रकरण में विस्तृत सुनवाई के पश्चात उच्च-न्यायालय ने अंतरिम राहत की मांग को दर-किनार करते हुए कहा की प्रकरण में जो भी आदेश अनुविभागीय अधिकारी एवं कलेक्टर, टीकमगढ़ द्वारा जो पारित किये गये है वे प्रथमतया उनके क्षेत्र अधिकार एवं कार्यप्रणाली के अंतर्गत आते हैं एवं उस पर जब तक शासन का जवाब नहीं आ जाता तब तक हस्तक्षेप करना अनुचित होगा। उच्च-न्यायालय ने यह भी कहा की आपराधिक कार्यवाहीयों के संबंध में अगर याचिकाकर्ता ट्रस्टी चाहे तो उपयुक्त समाधान उपयुक्त न्यायालय के समक्ष ले सकते है परन्तु रिट याचिका में व्यापक आदेश नहीं पारित किया जा सकता। राज्य शासन की ओर से अधिवक्ता श्री अक्षय पवार उपस्थित हुए।