विश्व शांति महायज्ञ के साथ गुढ़ा में पंचकल्याणक एवं मानस्तम्भ प्रतिष्ठा महोत्सव हुआ संपन्न, आस्था के साथ मनाया मोक्षकल्याणक

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मानव जीवन का लक्ष्य मोक्ष की प्राप्ति : मुनि श्री विरंजनसागर
हुआ विश्वशांति महायज्ञ, हुआ श्रीजी का अभिषेक

गुढ़ा, ललितपुर। परम पूज्य जनसंत मुनि श्री विरंजन सागर जी महाराज, मुनि श्री विश्वदृग सागर जी, क्षुल्लक श्री विसौम्य सागर जी , क्षुल्लिका विशीलाश्री माता जी के मंगल सान्निध्य में तथा प्रतिष्ठाचार्य ब्र. जय कुमार जी निशांत भैया के निर्देशन में पंडित विवेक शास्त्री संकेत, पंडित मनीष जैन संजू के प्रतिष्ठाचार्योत्व में गुढ़ा में चल रहे श्री आदिनाथ जिनबिम्ब पंचकल्याणक एवं मानस्तम्भ प्रतिष्ठा महोत्सव में गुरुवार को मोक्षकल्याणक विधि विधान के साथ भारी श्रद्धा-आस्था पूर्वक मनाया गया और विश्व शांति महायज्ञ के साथ छह दिवसीय कार्यक्रम धार्मिक विधि विधान के साथ सम्पन्न हो गया ।

पंचकल्याणक समिति के मीडिया प्रभारी डॉ. सुनील संचय ललितपुर ने बताया कि गुरुवार को अंतिम दिन मोक्षकल्याणक की क्रियाएं प्रातः पात्र शुद्धि ,अभिषेक,शन्तिधारा,नित्य महापूजन के साथ आरंभ हुयीं। तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव को प्रातः बेला पर मोक्ष की प्राप्ति हुई। जैसे ही तीर्थंकर भगवान के मोक्ष जाने की घोषणा प्रतिष्ठाचार्य ने की उपस्थित भक्तों ने जयकारों से आकाश गुंजायमान कर दिया, लोग खुशी से नृत्य करने लगे। वाद्ययंत्र बजाए गए। मोक्ष कल्याणक की पूजन की गई। भगवान के नख, केश, पिच्छि, कमण्डल तथा काजल की डिबिया, आभूषण, झारी, सलाई, बाजूबंद आदि को प्राप्त करने का सौभाग्य श्रेष्ठियों को प्राप्त किया। आयोजन के अंतिम दिन विश्व शांति की कामना के साथ विश्व शांति महायज्ञ पूर्णाहुति हवन किया गया। शांतिपाठ और विसर्जन भी किया गया।

इस अवसर पर अपने अमृतवचनों से अभिसिंचित करते हुए जनसंत मुनि श्री विरंजनसागर जी महाराज ने कहा कि तीर्थंकरों के जीवन की ऐसी घटना जो अन्य जीवों के कल्याण का आधार बनती हैं कल्याणक कहलाते हैं। आज मोक्ष गए ऋषभदेव भगवान से हम प्रार्थना करें कि जो स्वरूप आपने प्राप्त किया है वह हमें भी प्राप्त हो। मानव जीवन का लक्ष्य मुक्ति अर्थात् मोक्ष की प्राप्ति होता है। जैनधर्म के अनुसार मानव दिगम्बर वीतरागी अवस्था को प्राप्त कर केवलज्ञान प्राप्ति के उपरान्त ध्यान की पूर्णता कर मोक्ष को प्राप्त करता है।

उन्होंने आगे कहा कि संस्कृति का संबंध संस्कारों से है। सुसंस्कृत समाज की संरचना से है। जैसे भूख लगना प्रकृति है, छीनकर भोजन करना विकृति है किन्तु मिल बांटकर भोजन करना संस्कृति है। अपनी सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण के लिए युवा वर्ग को आगे आना होगा। वास्तव में मोक्षगमन जैन दर्शन के चिंतन की चरमोत्कृष्ठ आस्था है जो प्रत्येक हृदय में फलित होना चाहिए। समस्त कल्याणक महोत्सव का यह सरताज है।

प्रतिष्ठित प्रतिमाओं-श्रीजी का दोपहर में अभिषेक विधि- विधान के साथ सम्पन्न हुआ। इसके साथ ही प्रतिष्ठित प्रतिमाएं विधि विधान के साथ मानस्तम्भ में विराजमान की गईं।

इस अवसर पर उत्तर प्रदेश सरकार के राज्य मंत्री व महरौनी विधायक मनोहर लाल पंथ, भाजपा जिलामंत्री राजकुमार जैन एवं ग्राम प्रधान बब्बू राजा आदि ने मुनिश्री को श्रीफल समर्पित आशीर्वाद ग्रहण किया। महोत्सव समिति ने अतिथियों का स्वागत, सम्मान किया।

आयोजन में पंचकल्याणक महोत्सव समिति व महोत्सव की समस्तउप समितियों,जिनशासन प्रभावना युवा मंडल स्वयंसेवी संगठन का उल्लेखनीय योगदान रहा। संचालन मंच कलाकार चक्रेश जैन सोजना व वीरचन्द्र जैन नेकौरा ने किया।
सभी कार्यक्रम कोविड गाइडलाइन का पालन करते हुए मंदिर परिसर में सम्पन्न हुए।

इस अवसर पर ओमप्रकाश भदौरा, महोत्सव के माता पिता बंशीधर चम्पाबाई जैन, सौधर्म इंद्र बी एल जैन, कुबेर सुभाष जैन, ईशान इंद्र डॉ देवेंद्र जैन, सनत इन्द्र- डॉ. भरत जैन, माहेन्द्र इन्द्र- महेंद्र जैन, महायज्ञ नायक अनुराग जैन, खुशाल जैन, डॉ हीरालाल जैन, अनिल, रत्नेश, संजीव जैन शास्त्री, पीयूष जैन, इंजी अशोक, जयकुमार, सुभाष तथा महोत्सव समिति के अध्यक्ष महेन्द्र जैन, महामंत्री वीरेंद्र जैन, मंत्री डॉ. भरत जैन, कार्यकारी अध्यक्ष धर्मेश जैन, स्वागताध्यक्ष अनुराग जैन, अनिल जैन महरौनी, भूपेंद्र जैन, सुनील जैन, रूप नारायण खरे, अनिल शास्त्री, डॉ भरत जैन, वीरेंद्र जैन सिंघई, हुकुमचंद, जयकुमार जैन, सुभाष जैन, पुष्पेंद्र जैन, शिक्षक राजेश जैन, राजेश जैन ,दुलीचंद्र जैन,अनुज, आयुष जैन, प्रांजल जैन, सुरेन्द्र सोजना, शीलचंद,उत्तम चंद्र, जितेंद्र जैन, विजय जैन, प्रदीप, ज्ञानचंद, विजय, डॉ महेश जैन,डॉ देवेंद्र जैन, डॉ श्यामलाल, महेन्द्र जैन आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे। मानस्तम्भ के पुण्यार्जक बनने का सौभाग्य वीरेंद्र जैन, प्रमिला जैन पीयूष जैन सिंघई परिवार रहे।