28 दिसंबर 2024/ पौष कृष्ण त्रयोदशी /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/ शरद जैन /
पाक अधिकृत जम्मू कश्मीर में शतियाल से राजकोट पुल तक की 100 किमी परिधि में चट्टान कला अतुलनीय इतिहास आज भी बिखरा पड़ा है, जिसके प्रमाण की अत्याधिक आवश्यकता है, नहीं तो प्रकृति व मानवीय मार से उसके नष्ट होने का खतरा हो सकता है।
यहां पर लगभग 50 हजार चट्टान पर उकेरी व 5 हजार शिलालेख होने की संभावना है, जो ईसा की नवी सदी पूर्व से 16वीं सदी तक के इतिहास की कई प्रमाणिक जानकारी परिलक्षित करती है। जहां हमें प्रागैतिहासिक मानव सभ्यता के प्रमाणों के साथ बड़ी संख्या में जैन प्रतीक, खड्गासन व पदमासन मूर्तियां, ओंकार, स्वस्तिक आदि अनेक धर्म चिह्न है।
कई चट्टानों पर व्यापारिक मार्ग भी उकेरे हुए हैं, जो बताते हैं कि जैनों द्वारा कहां व्यापार किये जाते थे। पाकिस्तान के चिलास में इस तरह के चिह्न, ब्राह्मी, शारदा आदि का शिलालेख तीर्थंकर चरित्रों में आता है, वे यहां विभिन्न चट्टानों पर उकेरे हुए हैं।
रॉक आर्ट्स का अध्ययन करने वालों ने यह जानकारी देते हुए इन्हें संरक्षित करने की अपील की है।