TALK WITH YOUR MIND BEFORE YOU TALK WITH YOUR TONGUE
जीभ ये जो “जीभ” है इसे चिरकाल जवानी प्राप्त हुई है,
“इन्सान”
जितना भी चाहे बूढा हो जाये, उसका आँखोंसे दिखना भी बंद हो जाये, लेकिन जीभ कभी भी बूढी नही होती,
जीभ का आवेश जीवन के आखरी क्षण तक रहता है, और जीभ को काबू में रखने के लिये भगवान ने बत्तीस दाँत चौकीदार के रुप मे बिठाये है,
कुछ समय के बाद ये जीभ दाँत को भी उखाड देती है,
ll दास कबीर ने कहा है ll
“दंत” कहे जीभ को, हम बत्तीस तु अकेली माय,
करकरा चबा जाँऊ तो, फिरयादी मत कहलाय,
“जीभ” कहे दंत को तुम बत्तीस मै अकेली माय,
लेकिन एक बार टेढी चलूँ तो बत्तीसी गिर जाय,
इसलिये कभी भी बोलते समय, “पहले तोलो फिर बोलो”।