इस वर्ष ‘पद्म-विभूषण’ एवं ‘पद्म-भूषण’ में किसी जैनसमाज-गौरव को स्थान नहीं, ”पद्म-श्री सम्मानों’ से 3 जैन

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इस वर्ष के पद्म-सम्मानों की गणतंत्र-दिवस की पूर्व-सन्ध्या पर घोषणा की गयी है। इनमें ‘पद्म-विभूषण’ एवं ‘पद्म-भूषण’ श्रेणियों में तो किसी जैनसमाज-गौरव को संभवतः स्थान नहीं मिल सका है (यदि किसी ने सरनेम ‘जैन’ न लिखा हो, तो ही संभव है), किन्तु ‘पद्म-श्री’ सम्मान से सम्मानित कुछ जैन-प्रतिभाओं का संक्षिप्त-विवरण निम्नानुसार है–
1. श्रीमती डॉ. शान्ति जैन:– आप बुन्देलखण्ड की गौरव हैं एवं शिक्षा व समाजसेवा के क्षेत्र से जुड़ी विदुषी हैं। मूलतः बक्स्वाहा (म. प्र.) की निवासी डॉ. शान्ति जैन ने अपनी लेखनी से प्रसूत साहित्य के बल पर यह गौरवशाली सम्मान अर्जित किया है।
2. डॉ. नेमनाथ जैन:– आप इन्दौर (म. प्र.) के निवासी हैं और सोयाबीन के खेती एवं इसके उत्पादों में विशिष्ट-अनुसन्धानात्मक-योगदानों के लिये आपको इस वर्ष ‘पद्म-श्री’ सम्मान के लिए चुना गया है। आप पिछले छह दशकों से इस क्षेत्र के अग्रणी-टेक्नोक्रेट, उद्योगपति एवं समर्पित समाजसेवी हैं। आपके शोधपरक-योगदान के लिये आपका चयन हुआ है।
3. डॉ. मीनाक्षी जैन:– दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित गार्गी-कॉलेज में ‘राजनीति-विज्ञान’ की सह-प्रोफेसर डॉ. मीनाक्षी जैन भी शिक्षा एवं बौद्धिक-जगत् की सुप्रतिष्ठित हस्ती हैं। जाति और राजनीति के विषय में विशिष्ट शोधपरक-योगदान के लिये आपको इस वर्ष के ‘पद्म-श्री’ सम्मान के लिये चुना गया है।
सम्मानित जैनसमाज के गौरवशाली व्यक्तित्वों का हार्दिक अभिनन्दन एवं भावभीनी बधाई ।
आप सभी जैनत्व को अपने जीवन एवं कार्यों से गौरवान्वित करें– यही मंगलभावना है।