पाँचवे तीर्थंकर के 90 हजार करोड़ सागर बाद फिर भरत क्षेत्र में क्यों बरसते रहे 15 माह तक करोड़ों रत्न

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20 अक्टूबर 2022/ कार्तिक कृष्णा दशमी /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी
23 अक्टूबर 2022: कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी : तीर्थंकर पदमप्रभु जी का जन्म-तप कल्याणक

पाचवें तीर्थंकर श्री सुमतिनाथ जी के 90 हजार करोड़ सागर बीत जाने के बाद कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी को कौशाम्बी नगर के महाराज श्री धरण की महारानी सुसीमा देवी के गर्भ से जन्म लिया श्री पदमप्रभु भगवान ने।

आपकी आयु तीस लाख वर्ष पूर्व थी और कद था 1500 फुट ऊंचा। लाल रंग की काया वाले पदमप्रभु जी का चिह्न भी लाल कमल है।

आपने साढ़े इक्कीस लाख वर्ष पूर्व सोलह पूर्वांग राज्यकाल के बाद किसी समय दरवाजे पर बंधे हुए हाथी की दशा सुनने से उन्हें अपने पूर्व भवों का ज्ञान हो गया , आपके भीतर वैराग्य की भावना बलवती हो गई और जिससे भगवान को वैराग्य हो गया। वे ‘निवृत्ति’ नाम की पालकी पर बैठ मनोहर नाम के वन में गये और कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी के दिन दीक्षा ले ली।

कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी के दिन ही एक हजार राजाओं के साथ दीक्षा लेने चित्रा नक्षत्र में देवों द्वारा लाई गई निवृति नामक पालकी से पहुंचे मनोहर वन में।
पंचमुष्टि केशलोंच कर तप में लीन हो गये और 6 माह के कठोर तप के बाद केवलज्ञान की प्राप्ति हुई।

बोलिये, छठे तीर्थंकर श्री पदमप्रभु भगवान के जन्म-तप कल्याणक की जय-जय-जय।