03 नवम्बर : कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी : तीर्थंकर पदमप्रभु जी का जन्म-तप कल्याणक

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पाचवें तीर्थंकर श्री सुमतिनाथ जी के 90 हजार करोड़ सागर बीत जाने के बाद कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी को कौशाम्बी नगर के महाराज श्री धरण की महारानी सुसीमा देवी के गर्भ से जन्म लिया श्री पदमप्रभु भगवान ने।

आपकी आयु तीस लाख वर्ष पूर्व थी और कद था 1500 फुट ऊंचा। लाल रंग की काया वाले पदमप्रभु जी का चिह्न भी लाल कमल है।

आपने साढ़े इक्कीस लाख वर्ष पूर्व सोलह पूर्वांग राज्यकाल के बाद जाति स्मरण से आपके भीतर वैराग्य की भावना बलवती हो गई और कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी के दिन ही एक हजार राजाओं के साथ दीक्षा लेने चित्रा नक्षत्र में निवृति नामक पालकी से पहुंचे मनोहर वन में।

पंचमुष्टि केशलोंच कर तप में लीन हो गये और 6 माह के कठोर तप के बाद केवलज्ञान की प्राप्ति हुई।
बोलिये, छठे तीर्थंकर श्री पदमप्रभु भगवान के जन्म-तप कल्याणक की जय-जय-जय।