पारणे की तैयारी हो रही है, कृपया इसको ज़रूर पढ़ले , स्वास्थ के लिए क्या सावधानियां रखे, छोटी छोटी बातों में बड़े बड़े राज़

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9 सितम्बर 2022/ भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशी /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/
पारणा में लगभग 8 दिनों तक खाने योग्य भोजन

– मूंग की दाल उसका पानी और भर की दाल (भरका मोगर, कपूरी दाल या सूखा मोगर) घी में छोंक कर खाएं
– 20-25 मुनक्का प्रतिदिन अवश्य खाएं
– परवल व तुरई की सब्जी तीन चार पीस ले सकते हैं
– कच्चा दलिया अच्छा उबला हुआ उबलते समय ही घी डाला हुआ ही खाएं ऊपर से घी नहीं डालें अथवा दलिया दूध के साथ भी खा सकते हैं
– मीठा दूध पीवे।
– सभी वस्तुओं में नमक थोड़ा व उबलते हुए में डाला हुआ ही खाएं ऊपर से नहीं डालें
– एक या आधी रोटी नरम व गरम, अर्थात रोटी गरम गरम हो व बनाते वक्त घी चुपड़ कर रखी हो तो दाल के पानी में या लौकी की सब्जी में गला कर खाएं
– सामान्य पानी भी उबालकर ठंडा कर के अथवा गुनगुना पीयें यदि कब्ज हो (पेट साफ नहीं हो रहा हो) तो आप आधा दूध आधा पानी मिलाकर पियें। बिना प्रयोजन औषधि का प्रयोग नहीं करें। विशेष परिस्थिति में किसी आर्यिका या साधु से संपर्क करें
– पानी पर्याप्त मात्रा में धीरे-धीरे पिए (जल्दी-जल्दी गटागट नहीं पीयें) सौंफ के 2-4 दाने अथवा सिकी हुई पिसी हुई चौथाई चम्मच खा सकते हैं
– मलाई का मोटे आटे वाला मीठा मोहनभोग (केक) भी दो तीन पीस खा सकते हैं
– 20-25 मुनक्का गला कर उसका पानी भी पी सकते हैं

– नहीं खाने योग्य सामग्री

– नींबू, लाल मिर्च, हरी मिर्च, केला, किसी भी प्रकार का जूस, तूहर, मसूर, उड़द की दालें इनकी बनी चीजें, चावल व चावल की बनी वस्तुऐं, मटर, चना, खटाई, मावा, रबड़ी आदि गरिष्ठ वस्तुएं, बाटी, पराठे, पूरी, बाफला आदि वस्तुऐं नहीं खानी चाहिए। इडली, डोसा, सांभर, छोले भटूरे, दही आदि वस्तुएं नहीं खाएं।
पारणा के 3 दिन पश्चात सौंठ अवश्य खायें
सौंठ बनाने की विधि- सौंठ को गीले कपड़े से पौंछकर अच्छी तरह से पीसकर कढ़ाई में सुगंधित/अच्छा (बदबू वाला ना) हो घी गर्म करके नीचे उतार लें उसमें पिसी हुई सोंठ डाल कर अच्छे से चलाएं (घी पर्याप्त होना चाहिए) फिर बूरा डालकर थोड़ी सिकी हुई गोंद का चूर्ण भी मिला लेवे। इसे पारणा के दिन ही बना कर रख देवें। 3 दिन बाद प्रतिदिन (8 दिन तक) प्रातः दो चम्मच सोंठ खाकर दूध अवश्य पीएं। जिस समय सौंठ खाएं उस समय किसी भी प्रकार की खटाई ना खाएं। अमचूर, अनानास, मौसमी आदि का रस न पीवें।

जयपुर जैन सभा समिति