16 अक्टूबर 2022/ कार्तिक कृष्णा सप्तमी /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी
1.ईसा से ५२७ वर्ष पूर्व कार्तिक कृष्णा अमावस्या को दीपावली के दिन भगवान् महावीर का निर्वाण हुआ था ,उसके एक दिन बाद कार्तिक शुक्ला एकम से भारतवर्ष का सबसे प्राचीन संवत् “वीर निर्वाण संवत्”प्रारंभ हुआ था |यह हिजरी, विक्रम, ईसवी, शक आदि सभी संवतों से भी अधिक पुराना है |
2. जैन परंपरा के प्राकृत तथा संस्कृत भाषा के प्राचीन ग्रंथों/पांडुलिपियों में तो इस बात के अनेक प्रमाण है ही साथ ही पुरातात्विक साक्ष्यों से भी यह संवत् सबसे अधिक प्राचीन सिद्ध होता है |
3. राजस्थान के अजमेर जिले में भिनय तहसील के अंतर्गत वडली एक गाँव है |सुप्रसिद्ध पुरातत्ववेत्ता डॉ गौरीशंकर हीराचंद ओझा ने १९१२ ईश्वी में वडली के शिलालेख की खोज की थी |वडली के शिलालेख में वीर निर्वाण संवत का उल्लेख हुआ है |यह वीर शब्द महावीर स्वामी के लिए आया है |इस शिलालेख पर ८४ वीर संवत लिखा है |भगवान् महावीर के निर्वाण के ८४ वें वर्ष में यह शिलालेख लिखा गया |सुप्रसिद्ध इतिहासकार डॉ राजबली पाण्डेय ने अपनी पुस्तक इंडियन पैलियो ग्राफी के पृष्ठ १८० पर लिखा है कि ‘अशोक के पूर्व के शिलालेखों में तिथि अंकित करने की परंपरा नहीं थी,बडली का शिलालेख तो एक अपवाद है |’
4.अभी तक इस शिलालेख से पूर्व का कोई भी प्रमाण नहीं है जो किसी और संवत् की परंपरा को दर्शाता हो | फिलहाल यह शिलालेख आमेर के संग्रहालय में सुरक्षित है |
वीर निर्वाण संवत (युग) एक कैलेंडर युग है जिसकी शुरुआत ७ अक्टूबर ५२७ ई.पू. से हुई थी। यह २४ वें तीर्थंकर भगवान महावीरस्वामी के निर्वाण का स्मरण करता है। यह कालानुक्रमिक गणना की सबसे पुरानी प्रणाली में से एक है जो अभी भी भारत में उपयोग की जाती है।
भगवान वर्धमान महावीरस्वामीजी के निर्वाण के वर्ष के रूप में ५२७ ईसा पूर्व का उल्लेख करने वाला सबसे पहला पाठ यति-वृषभ का तिलोय-पन्नति (६वीं शताब्दी ईस्वी) है। इसके बाद के कार्य जैसे कि जिनेसा के हरिवामसा (७८३ CE) में वीर निर्वाण युग का उल्लेख है, और इसके और शाका युग के बीच के अंतर को ६०३ साल, ५ महीने और १० दिन के रूप में बताया।
२१ अक्टूबर १९७४ को पूरे भारत में जैनियों द्वारा २५०० वां निर्वाण महोत्सव मनाया गया और विदेश में भी मनाया गया।
जैन वर्ष वीर निर्वाण संवत् ४७० वर्ष कार्तिकादि विक्रम संवत् को जोड़कर प्राप्त होता है। उदाहरण के लिए,वीर निर्वाण संवत 2549 विक्रम 2079, कार्तिका कृष्ण अमावस्या (चैत्रादि और पूर्णिमांत) पर 25 अक्टूबर 2022 की दीपावली के ठीक बाद शुरू हुआ। नया चैत्रादि विक्रम संवत (उत्तर भारत में) चैत्र में सात महीने पहले आरंभ होता है, इस प्रकार चैत्र-कार्तिक कृष्ण के दौरान विक्रम और वीर निवाण संवत का अंतर 469 वर्ष है।
-डॉ अनेकांत कुमार जैन