सबसे पुराना कैलेंडर कौनसा? उसी की आज शुरुआत हुई

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02 नवंबर 2024/ कार्तिक शुक्ल एकम /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/
आज कल 31st December का सेलिब्रेशन करना ट्रेंड बन रहा है, यह पाश्चात्य संस्कृति का प्रतीक है हम अपने जैन धर्म के अनुसार माना जाने वाला नए साल से अपरिचित है,

जैन धर्म के अनुसार दीपावली के बाद आने वाला पड़वा ही नया वर्ष का पहला दिन होता है,

हम इसे क्यों नया साल माने? क्योंकि सबसे पुराना कैलेंडर वीर निर्वाण संवत ही होता है

पड़वा अर्थात क्या?
पड़वा अर्थात प्रतिपदा इसका अर्थ है पहली तिथि, वर्ष की या (महीने) मास की,

भारत में बहुत बार न्यू ईयर मनाया जाता है परंतु सबसे प्राचीन संवत (वर्ष की काउंटिंग / कैलेंडर) जैन धर्म की है, जिसे वीर निर्वाण संवत कहते हैं,

जिसकी शुरुवात भगवान के महावीर के निर्वाण से हुई थी, यह कालानुक्रमिक गणना की सबसे पुरानी प्रणाली में से एक है जो अभी भी भारत में उपयोग की जाती है।

इसमें प्रथम मास कार्तिक होता है और मास की शुरुवात आमावास के बाद वाले पड़वा से होती है,

जिसको इस बार 2550 साल पूरे हुए और 2551 वा साल प्रारंभ हुआ,

यह संवत अंग्रेजी calender से पहले का है, जिसकी शुरुवात येशु ख्रीस्त से हुई थी अभी २०२४ वर्ष चल रहा है, अर्थात हमारा कैलेंडर येशु ख्रीस्त से ५२७ साल पुराना है, ( 527 years BC)

जैन व्यावसायिक लोगों ने पारंपरिक रूप से दीपावली से अपना लेखा वर्ष (Accounting Year)शुरू किया। इसीलिए cash बुक्स diwali to diwali ही मिलते है।

भारत का दूसरा सबसे प्रसिद्ध कैलेंडर विक्रम संवत् है, जो राजा विक्रम आदित्य से शुरू हुआ है जिसका अभी 2081 साल चल रहा है, जो जैन कैलेंडर से 470 साल बाद प्रारंभ हुआ, जिसका प्रथम मास चैत्र होता है और महीने की शुरुवात पूनम के बाद वाले पड़वा से होती है (जिसे महाराष्ट्र में गुढ़ी पाड़वा कहते है)
शालिवाहन शक जिसे शक संवत भी कहते हैं, हिंदू पञ्चाङ्ग, और कम्बोडियाई बौद्ध पञ्चाङ्ग के रूप मे प्रयोग किया जाता हैं। माना जाता है कि इसकी प्रवर्तन (आरम्भ) वर्ष 78 ई. में वसन्त विषुव के आसपास हुई थी, जिसका अभी 1945 साल चल रहा है,

यह है ऐतिहासिक बड़ली शिलालेख जो 1912 में राजस्थान के अजमेर के बड़ली गांव में मिला था। इस शिलालेख पर ब्राह्मी लिपि में 84 वीर संवत लिखा है, जो स्पष्ट करता है भगवान महावीर स्वामी के निर्वाण के 84वें वर्ष में यह शिलालेख लिखा गया और प्रमाणित होता है कि सबसे प्राचीन वीर संवत है, जो महावीर स्वामी के मोक्ष के बाद शुरू हुआ और आज 2551वें वीर संवत की शुरुआत पर, आप सभी को मंगल शुभकामनाएं चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी परिवार की ओर से।