युग शिरोमणि आचार्य भगवन श्री विद्यसागर जी महाराज के परम शिष्य मुनिवर श्री निकलंक सागर जी महाराज का समाधि मरण हुआ
मुनि श्री,मुनिवर प्रसादसागर जी महाराज के संघ में साधना रत थे। ऊंची कद काठी के व्यक्त्वि मुनिवर अपनी चुम्बकीय व्यक्त्वि के कारण सहज ही सबको आकर्षित कर धर्म से जोड़ते थे। वात्सल्य की खान मुनिवर ने कम समय मे ही हजारों हज़ारों लोगों को अभिषेक शांतिधारा से जोड़ा था।
अभी कुछ दिन पूर्व ही आपका आपके ग्रह नगर शाढोरा में प्रवेश हुआ था जहां की जनता आपको पाकर अपने जीवन को धन्य कर रही थी।
परम पूज्य आचार्य भगवंत श्री विद्यासागरजी महाराज साहब के युवा शिष्य मुनि श्री निकलंकसागर जी महाराज अतिशय क्षेत्र बजरंगगढ़ जिला गुना में विराजमान थे। वे ७-८ दिन से अस्वस्थ चल रहे थे। कल रात ११.३० बजे उनकी समाधी हो गई एवं आज प्रातःबेला में उनके पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार कर दिया गया।
उनकी उम्र मात्र २९- ३० वर्ष ही थी। लगभग ८ साल पहले उन्होंने जैनेश्वरी दीक्षा ग्रहण की थी। स्थानीय युवा वर्ग उनसे हमेशा प्रेरणा लेता था एवं उनके जाने से अति व्यथित है।
मुनि श्री १०८ निकलंकसागर जी महाराज
● जन्म
28 फरवरी 1984
● जन्म नाम
ब्र. पुनीत जी जैन
● जन्म स्थान
शाढौरा,जिला-अशोकनगर,म.प्र.
● पिता का नाम
श्री प्रकाशचन्द जी जैन
● माता का नाम
श्रीमती आशा जैन
● मातृभाषा
हिन्दी
● शिक्षा
MA
● ब्रह्मचर्य व्रत
2 अप्रैल 2011 में जबलपुर में आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज जी से
● मुनि दीक्षा
10 अगस्त 2013,श्रावण शुक्ला ४,वि.स. 2070
● मुनि दीक्षा स्थान
श्री शांतिनाथ दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र रामटेक,जिला-नागपुर,महाराष्ट्र
● दीक्षा गुरु
निर्दोष ब्रह्मचर्य के साधक आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी महाराज ★★
● उपसंघ
मुनि श्री प्रसादसागर जी महाराज
विशेष- आप अच्छे स्वाध्यायी,प्रवचनकार,वाक्पटू,सेवाभावी व विनयी साधक है।आप पूजनविधि विशेषज्ञ भी है।