संकल्प करो कि निमित्त धर्म की अप्रभावना ना हो, दान धर्म में कमी ना हो, मेरे घर से कोई साधु भूखा ना जाए, मैं अपनी गलत आदतें छोड दूं, बच्चों को अच्छे संस्कार दूं और दीन दुखियों की सहायता करूं – मुनि श्री पूज्य सागर जी

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अंग्रेजी नव वर्ष 2021 आरम्भ हो गया है। हमारे जीवन में जब कोई नई चीज आती है या नई जगह जाते हैं तो बडा उत्साह होता है। बहुत सारी बातें दिमाग में होती हैं। आप लोगों ने भी सोच रखा होगा कि इस वर्ष क्या-क्या काम करेंगे। कोई मकान बनाने की सोच रहा होगा तो कोई नया व्यापार करने की सोच रहा होगा। सब अपने विचार से काम कर रहे है।
यह सही है कि 2020 में हमने धर्म, धन, व्यापार, सगे सम्ब्न्धियो आदि के मामले में बहुत कुछ खोया है। हम मानसिक रूप से बहुत परेशान हुए। कई तरह के विकल्प मन में आए होंगे। सबने इस महामारी कोरोना से छुटकारे की कामना की, लेकिन यह परेशानी क्यों हुई? यह इसलिए हुई कि आज भी हमारे मन में खोेने का डर बना हुआ है और डर के साए मे जीना पाप का कारण है। हमारे शास्त्रों में नौ कषायों में भय को भी शामिल किया गया है। डर के जीना कषाय का कारण बनता है और हम इसी डर के साथ 2021 में प्रवेश कर रहे हैं, लेकिन याद रखिए कि डर के साथ कहीं जाएंगे तो उस जगह का आनंद नहीं ले पाएंगे। इसी तरह डर के साथ नए वर्ष में प्रवेश करेंगे तो इस वर्ष के संकल्प पूरे नहीं कर पाएंगे। नए वर्ष के संकल्प पूरे करने हैं तो पहले पिछले वर्ष के डर और विकल्पों को समाप्त करना होगा। जब तक बर्तन अशुद्ध है, उसमें कितना भी शुद्ध पानी डालो, वह अशुद्ध ही रहेगा।
2021 में प्रवेश करते समय जितनी नेगेटिविटी दिमाग मे भरी है उसे बाहर निकालो। यह विचार करो कि हमारे कषाय कम हुए क्या, विकल्प कम हुए क्या, हमारी गलत आदतें छूटी क्या? ज्योतिष तो बता देगा कि नए वर्ष में क्या-क्या अच्छा होगा, लेकिन यह सोचना कि आपके कर्म ऐसे है क्या कि आपका आने वाला वर्ष अच्छा निकले।
नए वर्ष में प्रवेश करते समय यह संकल्प करो कि मेेरे निमित्त धर्म की अप्रभावना ना हो, दान धर्म में कमी ना हो, मेरे घर से कोई साधु भूखा ना जाए, मैं अपनी गलत आदतें छोड दूं, बच्चों को अच्छे संस्कार दूं और दीन दुखियों की सहायता करूं। इतना भी संकल्प कर लेंगे तो 2021 सुरक्षित निकल जाएगा।