आज जैन जयकारा नहीं बोल पाता उनकी मोक्ष धरा पर, अर्घ नहीं चढ़ा पाता , णमोकार मंत्र नहीं जप सकता, चंद मिनट खड़ा नहीं हो सकता- तीर्थंकर श्री नेमिनाथ जी के ज्ञान कल्याणक 26 सितंबर को

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24 सितम्बर 2022/ अश्विन कृष्ण चतुर्दशी /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी
झूठे सब नाते रिश्ते हैं, नश्वर काया नश्वर माया ।
भव भव में इंद्रियां भोग किया पर योगानंद नहीं पाया ।।
अश्विन शुक्ला एकम निज रम , चउ कर्म घातीया ध्वस्त किए।
केवल मुक्ति के स्वामी बन, भवी समवशरण उपदेश दिए ।।


जी हां, हमारे 22वें तीर्थंकर उसी गिरनार जी से 4 वर्ष 8 माह कठोर तप करने के बाद, उसी गिरनार जी से केवल ज्ञान की प्राप्ति होती है। वही दिन, जो इस वर्ष, सोमवार , 26 सितंबर को आ रहा है, आश्विन शुक्ल की प्रतिपदा।

हां, यह वही जगह है, जहां पर आज, जैन समाज का कोई व्यक्ति, जयकारा नहीं बोल पाता उनकी मोक्ष धरा पर, उस पर अर्घ नहीं चढ़ा पाता , णमोकार मंत्र नहीं जप सकता, चंद मिनट खड़ा नहीं हो सकता।

सच कहा था , जैसा ऊपर लिखा है,
क्षण में क्या थे क्षण में क्या है ,कर्मों की कैसी बलिहारी ।
बस जब वे विवाह रचाने आते हैं तो,
सिरमौर तजा कंगन तोड़ा, गिरनारी चढ़ दीक्षा धारी।

केवल ज्ञान की प्राप्ति, चित्रा नक्षत्र में, पूर्वाह्न काल में, इसी उर्जयंत पर्वत पर होती है, जिसे गिरनार पर्वत और रेवतक पर्वत भी कहा जाता है। सौधर्मेंद्र की आज्ञा से, कुबेर तत्काल डेढ़ योजन विस्तार का समोशरण रचता है, और हमारे 22वें तीर्थंकर श्री नेमिनाथ भगवान जी 699 वर्ष 10 महीने 4 दिन तक जगह-जगह अपनी दिव्य ध्वनि खिराते रहते हैं, जिसको और लोगों को इस धर्म का ज्ञान अपनी ओंकारमय दिव्य ध्वनि से सुनाते रहते हैं , जिसको 11 गणधर गूंथते हैं और पूर्व आचार्य उसको रचते हैं । ऐसा केवलज्ञान कल्याणक आ रहा है, इस सोमवार 26 सितंबर को ।

चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी के साथ , आप सभी भी बोलिए, 22वें तीर्थंकर श्री नेमिनाथ जी के ज्ञान कल्याणक की , जय जय, जय ।

गिरनारी नेमी वंदन से, कर्मों के बंधन खुल जाते।
सन्मति समता सुख अनचाहे , भक्ति से मनोवांछित पाते।।