आश्चर्यजनक रूप से अपने हाथों से सम्पूर्ण पहाड़ को ही काटकर निर्मित अति प्राचीन अति सौन्दर्यपूर्ण के शिल्पकुशलता व निपुणता के परिचायक

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कितना दुर्लभतम भव्यतापूर्ण यह मन्दिर है जिसे जैन पूर्वजों ने अपने हाथों से सम्पूर्ण पहाड़ को ही काटकर ही बना डाले हैं।

यह निर्माण कार्य अति प्राचीन है। यह अतुलनीय श्री नेमिनाथ जैन मन्दिर, ग्वालियर किला, ग्वालियर, मध्यप्रदेश में स्थित है। मन्दिर के विशालकाय पाषण कक्ष में श्री नेमिनाथ ध्यान साधना में पद्मासन की मुद्रा में विराजमान हैं।

श्री नेमिनाथ के मस्तक पर अति सौन्दर्यपूर्ण पाषाण छत्र बना हुआ है।
कक्ष के छत पर पूर्ण पुष्पित कमल निर्मित है जो सनातन संस्कृति का पवित्र चिह्न है।

आश्चर्यजनक रूप से यह सभी निर्माण एक ही अखण्ड पाषाण शिला को काटकर निर्मित किया गया है।
कक्ष के बाहरी निर्माण को मन्दिर के रूप में गढ़ा गया है। पत्थरों पर लघु व सूक्ष्म कलाकृतियाँ सनातनी शिल्पकार के शिल्पकुशलता व निपुणता के परिचायक है।

दुर्भाग्यवश जैसा कि प्रायः जैन मन्दिरों, धार्मिक स्थलों के साथ अतीत में होता रहा है, इस सौन्दर्यपूर्ण मन्दिर को भी “मुगलों” ने छिन्न भिन्न कर दिया।