2 नवंबर 2022/ कार्तिक शुक्ल नवमी/चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी
विश्वास करेंगे आप विश्वास कि हमारी आंखों देखा देखी, कितनी तेजी से गिरनार को बदला जा रहा है। जो क्षेत्र सरकारी वन विभाग में रहता है, उस पर जितना चाहे खुलकर निर्माण करने दिया जा रहा है ।
जहां श्री सम्मेद शिखरजी में जैन समाज को बिना वन विभाग की अनुमति के, एक ईट नहीं रखनी दी जाती। वही गिरनार में , वहां की राज्य सरकार के अंतर्गत, वन विभाग मानो, आंखें मूंदे पड़ा है। हां पहले, श्री नेमिनाथ टोक को दत्तात्रेय टोंक में बदला गया और अब तो इतना ज्यादा निर्माण होने लगा है कि कदम कदम पर उनके मंदिर बन गए हैं, और गिरनार जैसे जैनों से अदालत के निर्णय से पहले ही खिसका लिया जाएगा ।
इसी क्रम में अब एक नया द्वार , कुछ वर्ष पहले बना दिया है और अफसोस यह है वहां के यात्री चैनल महालक्ष्मी को सूचना देते हैं , पर हमारी तीर्थ क्षेत्र कमेटी या तो जान नहीं पाती है या फिर पूरे समाज को इसके बारे में जानकारी देने की जरूरत नहीं महसूस करती और यही कारण है कि हमारी कमेटी और समाज के बीच में एक बहुत बड़ा गैप नजर आता है और सुरक्षा हमारी इसी तरीके से धूमिल हो जाती है। बिना एक हुए, बिना सबके मिलकर कदम उठाए कुछ नहीं कर पाएंगे।
यह द्वार वंदना मार्ग पर जब चढ़ते हैं, जिस पर लिखा है श्री गुरुदत्त द्वार और उसके नीचे श्री गुरु दत्तात्रेय चरण पादुका। यह 22वें तीर्थंकर श्री नेमिनाथ जी की टोंक पर जाने से कुछ पहले उनके संसथान के रास्ते की ओर निर्माण किया गया है और इस पर श्री गुरु दत्तात्रेय संस्थान नाम भी इस पर लिख दिया गया है।
अगर इस तरह के द्वार दूसरे संप्रदाय के लोग बना सकते हैं तो क्यों नहीं ऐसे द्वार हमारी कमेटिया नहीं बनाती क्या वन विभाग से हमें अनुमति नहीं मिलती , या फिर कुछ और बात है?
गजब की बात है जैन समाज आंखों के ही सामने इस तरीके से जैन तीर्थ को बदला जा रहा है कि आज जैन समाज एक राजनीतिक पार्टी का जैसे, अगर बुरा ना माने तो , चमचा बनकर ही रह गया है क्योंकि जब तक राजनीतिक उथल-पुथल में अपनी पहचान नहीं होती और हम जैसे एक ही पार्टी के पीछे चलने को मजबूर हो गए हैं , उसका विरोध नहीं करते और जब तक यह राजनीतिक आवाज बुलंदी पर नहीं होगी , इसी तरीके से बदलते तीर्थ जगह-जगह दिखते रहेंगे। चैनल महालक्ष्मी इस पर एक बेबाक रिपोर्ट , गुरुवार 3 नवंबर के रात्रि 8:00 बजे के विशेष एपिसोड में देगा।
राजनीतिक भूचाल जब तक नहीं लाएंगे, इसी तरह बदले जाते रहेंगे हमारे तीर्थ और नेमिनाथ भगवान जी की टोंक कहें या पूरा गिरनार कहिए, इसी तरीके से उसका एक सजीव उदाहरण है। देखना मत भूलिए , चैनल महालक्ष्मी द्वारा गुरुवार, 3 नवंबर रात्रि 8:00 का विशेष एपिसोड।