तीर्थ सुरक्षा के लिये किया प्रयास सराहनीय रहा- पहली बार अल्पसंख्यक आयोग ने बुलाया- तीर्थों के संरक्षण आदि की शिकायतें दूर करने के लिए

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30 सितंबर 2024/ अश्विन शुक्ल त्रयोदशी /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/ शरद जैन /
आखिरकार मेहनत रंग लाई। भारतवर्षीय दिगम्बर जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी की अगुवाई में भारत सरकार के अल्पसंख्यक आयोग ने केन्द्रीय राज्य मंत्री श्री जार्ज कुरियन जी के मुख्य आतिथ्य में जैन समुदाय के तीर्थों के संरक्षण-संवर्धन के साथ अन्य शिकायतों के लिये अपने कार्यालय में जैन सम्प्रदाय के लिये संभवत: यह आज तक के आयोग के 32 साल के कार्याकाल में पहली बैठक थी, जिसमें मंत्री जी की उपस्थिति के साथ पूरे आयोग ने जैन तीर्थों पर हो रहे अतिक्रमण, उनकी सुरक्षा के शिकायतों और प्रयासों को सामूहिक रूप से सुना। निश्चित ही तीर्थक्षेत्र कमेटी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बाबू जम्बू प्रसाद जी जैन व उत्तर प्रदेश – उत्तरांचल अंचल के अध्यक्ष जवाहर लाल जैन जी के साथ चैनल महालक्ष्मी के सामूहिक प्रयासों से यह कार्यक्रम संभव हो पाया और चल-अचल तीर्थों की रक्षा-सुरक्षा सहित अनेक लंबित मुद्दों को सरकार तक पहुंचाने की एक सफल शुरूआत हुई।

इस अवसर पर केन्द्रीय राज्यमंत्री जार्ज कुरियन जी ने कहा कि पूरे विश्व को अहिंसा का संदेश देने वाला जैन समुदाय शुद्धि को बहुत महत्व देता है। शरीर शुद्धि, मन शुद्धि, आहार-विचार शुद्धि, पर्यावरण शुद्धि आदि 5 शुद्धि के सिद्धांत हैं। उन्होंने कहा कि हम सब एक माता के पुत्र हैं। जैन समाज से एक चुटकी भरे अंदाज में मंत्री महोदय ने कहा कि विश्व में केवल एक धर्म है, जो धन-सम्पत्ति को नहीं मांगता, जबकि सभी अन्य धर्म कहीं न कहीं मांगते हैं, पर जैनों में ऐसा नहीं है । और शायद इसी कारण अधिक सम्पत्ति जैनों के पास है, जैन अमीर हैं, अन्य समुदायों को देते हैं, सरकार को देते हैं।
आप अपनी समस्याओं को पहले स्वयं स्टडी कीजिए, फिर सोसायटी में रखिये, तब उसके बाद अथारिटी के पास आयेंगे, तो परिणाम अच्छे होंगे। कानून व संविधान के अंतर्गत आयोग आपकी सहायता करेगा। प्रशासनिक बातों पर निर्णय लिये जा सकते हैं। मंत्रालय सदा आपके साथ है, आपकी शिकायतें आयोग के माध्यम से आनी चाहिए।

आयोग के अध्यक्ष श्री इकबाल सिंह लालपुराजी ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में स्पष्ट कहा कि अगर किसी अल्पसंख्यक समुदाय से कुछ अप्रिय घटना होती है, तो आयोग स्वयं एक्शन लेता है, जिनका जन्म स्थान भारत में है। बातचीत से समस्यायें हल कीजिए, एक कदम पीछे हटकर, दो कदम आगे बढ़ाइये, हम अदालत में जाने की बजाय, आपस में हल कर लें। आज छोटी-छोटी बातों पर देश को बांटने की कोशिशें की जाती हैं। मुझे ये कहने में कोई संकोच नहीं कि जैन वो कम्यूनिटी है, जो कभी आंदोलन नहीं करती, बहुत शांतिप्रिय है, ये तो एक तरफ चुपचाप बैठकर स्वयं को ही सजा देती है।
आयोग में जैन सदस्य श्री धन्यकुमार जिनप्पा गुंडे जी ने जैन समाज की ओर से मुख्य समन्वयक रूप में काम कर रहे चैनल महालक्ष्मी की हर बात पर सहयोग दिया और तीर्थक्षेत्र कमेटी की बातों को ध्यान से सुना। यहां इस बात को कहने में कोई संकोच नहीं कि चैनल महालक्ष्मी की शिकायतों पर जैसे गिरनार तीर्थ पर जैन को दर्शन तथा गोपाचल पर्वत पर तीर्थंकर प्रतिमाओं के हो रहे क्षरण रोकने हेतु काफी प्रयास किये गये हैं और उनके अच्छे प्रभावी परिणाम शीघ्र ही सबके सामने आने की संभावना है।

तीर्थक्षेत्र कमेटी की ओर से राष्ट्रीय अध्यक्ष जम्बू प्रसाद जैन जी ने दिगम्बर जैन मंदिर (जिनालय) के मॉडल को मंत्री महोदय, आयोग के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष व जैन सदस्य डी.जी. गुण्डे जी को प्रतीक चिह्न के रूप में भेंट किया।
उ.प्र. – उत्तरांचल के अध्यक्ष श्री जवाहर लाल जैन द्वारा विभिन्न तीर्थों से प्राप्त बाउण्ड्री व जीर्णोद्धार कार्य के लिये उचित फण्ड हेतु आये प्रतिवेदन मंत्री जी को दिये गये। आयोग द्वारा उन पर उचित कार्यवाही का आश्वासन दिया गया।

जैन तीर्थों पर एक प्रमुख सामूहिक पिटीशन जो तीर्थक्षेत्र कमेटी द्वारा तैयार की गई, उसे सबके सम्मुख रखते हुए चैनल महालक्ष्मी की ओर से श्री शरद कुमार जैन ने प्रधानमंत्री महोदय के शब्दों से शुरूआत की, जो इसी वर्ष असम दौरे पर 04 फरवरी 2024 को कहे गये थे कि हमारे तीर्थ, हमारे मंदिर, हमारी आस्थाओं के स्थान हैं, ये सिर्फ दर्शन करने की स्थली नहीं है, ये हजारों वर्षों की हमारी सभ्यता की यात्री की अमिट निशानियां हैं। कोई भी देश अपने अतीत को मिटा कर कभी प्रगति नहीं कर सकता। इसके साथ अपने तीर्थों के अतिक्रमण की पूरी जानकारी देते हुए गिरनार जी पर न्यायालय के आदेश का अनुपालन न होना, पावागढ़ में प्रतिमाओं के मूल स्वरूप को बदलने के प्रयास, मंदारगिरि पर्वत पर वासुपूज्य स्वामी की तपोस्थली पर अतिक्रमण, गोपाचल पर्वत पर तीर्थंकर मूर्तियों की अवमानना, सम्मेदशिखरजी – मधुबन को मांस-मद्य वर्जित क्षेत्र व उनके बोर्ड लगें, फिल्मों में जैन संस्कृति से खिलवाड़, उदयगिरि-खण्डगिरि में जैन मूर्तियों के स्वरूप में बदलाव के प्रयास, दक्षिण भारत के जैन मंदिरों के स्वरूप को बदलकर अतिक्रमण, केसरिया जी पर कब्जे, जैन साधुओं के विहार में सुरक्षा व संरक्षण के लिये स्थान, जीर्ण धर्मशालाओं – मंदिरों का जीर्णोद्धार, जैन तीर्थक्षेत्रों व मंदिरों की भूमि पर बाउण्ड्री वाल, प्राचीन जैन साहित्य व पाण्डुलिपियों का संरक्षण व प्रकाशन, राजस्थान-म.प्र. के जैन बोर्ड की तरह राष्ट्रीय स्तर पर जैन कल्याण बोर्ड का गठन आदि की आवश्यकताओं पर आयोग का ध्यान आकर्षित कर उचित कदम उठाने की मांग की।

श्री जय कुमार जैन (कोटा वाले) जी द्वारा तीर्थक्षेत्रों के संरक्षण में तीर्थक्षेत्र कमेटी की 122 वर्षों की भूमिका पर प्रकाश डाला। श्री संजय पापड़ीवाल (औरंगाबाद) ने कई जगह आयोग में जैन अधिकारी न होने से हो रही समस्या को दूर करने की बात कही।

श्री हसमुख जैन गांधी (इन्दौर) ने GRAMIN क्षेत्रों के तीर्थों तक पहुंचने के लिये सड़क कनेक्टीविटी, मुख्य मार्ग तक करने की बात कही तथा स्कॉलरशिप के लिये न्यूनतम सीमा बढ़ाने व गोम्मटगिरि जैसे तीर्थों पर अदालती आदेश की अनदेखी की बात भी कही।

श्री प्रद्युमन जैन (दिल्ली अंचल अध्यक्ष) ने हाइवे के पास के मंदिरों – तीर्थों के लिये साइनेज, नालंदा में जैन साहित्य के लिये स्कालरशिप की मांग रखी।
ब्र. जय निशांत भैयाजी ने पुरातत्व शिक्षण में जैन मूर्ति शिल्प कला, मूर्ति ग्रन्थों के समावेश करने के साथ GRAMIN क्षेत्रों से मिलने वाली जैन मूर्तियों के संरक्षण की मांग रखी।

डॉ. जीवन प्रकाश जैन (हस्तिनापुर) ने अयोध्या में ऋषभदेव द्वार- जैन स्मारक की बात रखी, जिस पर आयोग अध्यक्ष ने कहा कि इस बारे में केन्द्र व राज्य को पत्र भेजे जा चुके हैं।

इसके अलावा आयोग में हर धर्म के व्यक्ति को अध्यक्ष रोटेशन पर बनाया जाये (जैन अब तक वंचित हैं), गरीब जैनों के लिये ऋण मेला, सोशल मीडिया में दिगम्बर संतों की नग्नता के नाम पर ब्लाक करने पर रोक, स्कूलों में सभी धर्मों की बेसिक जानकारी पर पाठ्यक्रम, ए.एस.आई साइट्स पर हो रहे अतिमक्रमणों पर रोक, प्राकृत को ऑप्शनल विषय के रूप में शामिल करने आदि कई विषयों को आयोग के सामने रखा। श्री राजेन्द्र जैन (भोपाल) ने जैन धरोहरों के सर्वे, गरीब बच्चों की पढ़ाई, श्रीमती मीनू जैन ने तीर्थों के बाहर अतिक्रमण व असुरक्षा समाप्त करने की बात कही, श्री प्रभात सेठी (गिरिडीह) ने शिखर जी में मांस-मद्य के निषेध के बोर्ड लगाने की बारे में कलेक्टर द्वारा गजट मांगे जाने पर अध्यक्ष महोदय ने कहा कि लिखित में दीजिये, तुरंत कार्यवाही करेंगे, वहां के मुख्य सचिव यहां आकर आश्वासन दे गये थे , कि भविष्य में ऐसा नहीं होगा।

आयोग अध्यक्ष श्री इकबाल सिंह लालपुरा जी ने बताया कि शीघ्र आयोग एक सर्वधर्म पुस्तक प्रकाशित कर रहा है, जिसमें जैन धर्म को भी प्रमुखता से लिया जा रहा है, और वह पुस्तक सबके लिये उपलब्ध कराई जाएगी तथा जिन बातों का यहां प्रतिवेदन दिये गये हैं, उन सब पर आयोग, आवश्यक कार्यवाही कर संबंधित विभाग को भेजेगा।

आयोग व मंत्रालय का धन्यवाद तीर्थक्षेत्र कमेटी के अध्यक्ष जम्बू प्रसाद जैन जी द्वारा दिया गया। इस अवसर पर अन्य गणमान्य लोगों में जय कुमार उपाध्ये (श्रवणबेलगोल), एस.के जैन (आई.पी.एस), विनोद जैन बाकलीवाल (मैसूर), जिनेन्द्र जैन (दौसा), भागचंद जैन (जयपुर), डॉ. राकेश जैन (मडावरा), नीरज जैन-पुनीत जैन (दिल्ली), विनोद बिहारी (अहिच्छेत्र), महेन्द्र जैन (टीकमगढ़), प्रमोद कासलीवाल (औरंगाबाद), महेन्द्र प्रकाश जैन (जयपुर), मनोज जैन (मेरठ), जीवेन्द्र जैन (गाजियाबाद), अनिल जैन (कनाडा), श्रीमती सुनंदा जैन, प्रवीन जैन (सान्ध्य महालक्ष्मी) आदि अनेक गणमान्य लोग उपस्थित थे। निश्चित ही तीर्थक्षेत्र कमेटी का तीर्थ सुरक्षा के लिये किया गया यह प्रयास सराहनीय व सही दिशा में महत्वपूर्ण कदम था।