#NavBharatTimes #NBT #MahavirSwami #Mahair_Swami_Janm_Kalyanak
दिनांकः 5 अप्रैल, 2021
श्रीमती इन्दू जैन जी,
अध्यक्ष एवं सीईओ,
टाइम्स आॅफ इंडिया समूह,
प्रथम मंजिल, एक्सप्रेस बिल्डिंग, 9-10, बहादुर शाह जफर मार्ग,
नई दिल्ली-110002
विषय: जैनों को गौरवान्वित करने वाले अखबार में जैनों की अनदेखी/अपमान
माननीय महोदय,
सादर जय जिनेन्द्र,
निष्चित ही आपका भारत में 57वां तथा विष्व में 549वें नम्बर की सबसे अमीर व्यक्तित्व है, और इसका प्रमुख श्रेय जाता है आपके साहू अषोक जैन जी, उनके पिता श्री साहू शांति प्रसाद जी तथा जैन कुल को, जिसके लिये उन्होंने सर्वस्व अर्पण किया और भगवान से मानों उन्हें भरपूर सहयोग मिला। उनके द्वारा नवभारत टाइम्स अखबार के माध्यम से लगातार जैन समाज को गौरवान्वित करने वाली खबरें प्रमुखता से छपती रही और यही कारण रहा कि दिल्ली-मुम्बई जैन परिवारों में यही नभाटा प्रमुख रूप से पढ़ा जाता रहा है।
परन्तु साहू अशोक जैन जी के जाने से जैन समाज ने अपना बहुमूल्य रत्न ही नहीं खोया बल्कि समाज को नेतृत्त्व देने वाली कुर्सी का उत्तराधिकारी भी आज तक नहीं मिल पाया है।
उनके जाने के बाद नवभारत टाइम्स ने जैन समाज से दूरियां बना ली, जैन समाज की खबरों को मानो सेंसर कर दिया गया, केवल एक विषेष द्वारा स्वीकृत होने पर ही बड़ी खबर भी, चार लाइन की जगह पा सके, तो समझ लीजिये धन्य हो गये।
अखबार में जैन समाज को जगह देना या ना देना प्रबंधन समूह (जिसमें आपके सुपुत्र विनीत जैन जी व समीर जैन जी भी शामिल हैं) का व्यक्तिगत निर्णय है, और उसको लांघना किसी अन्य के अधिकार क्षेत्र में नहीं परन्तु अगर जैन धर्म-संस्कृति का अपमान हो, तो आवाज तो उठाई ही जा सकती है।
दो वर्ष पहले यानि 2019 में 24वें तीर्थंकर श्री महावीर स्वामी के जन्म कल्याणक के अवसर पर आपके प्रतिष्ठित अखबार में नवभारत टाइम्स में महावीर स्वामी की फोटो की जगह महात्मा बुद्ध की फोटो छाप दी गई, और इस वर्ष अब रविवार 4 अप्रैल के पृष्ठ 10 पर नियमित छपने वाले व्रत- त्यौहार कालम में 26 अप्रैल तक के पर्व त्यौहार कालम में- 4 अपै्रल-ईस्टर डे, 7 पापमोचनी एकादशी, 9 प्रदोष व्रत, 13 रमजान व नवरात्र शुरू, 14 बैसाखी, 21 रामनवमी, 26 चैत्र पूर्णिमा तो छापा गया पर 25 अप्रैल को आ रहा महावीर स्वामी का जन्म कल्याणक, जिसको भारत सरकार सार्वजनिक अवकाश तक घोषित करती है, उसका नाम तक प्रकाशित न करना बार-बार भूल नहीं कही जा सकती।
पेज नं.4 पर कभी कभार 4-6 लाइन में ही जैन समाज की घटनाओ को समेट देना, यह कहीं ना कहीं , जैन संस्कृति-धर्म-समाज को जानबूझकर नीचा दिखाना, अपमान करना तो लग ही सकता है।
इंतजार रहेगा, आपके स्पष्टीकरण का सुधार का,
कडे़ शब्दों के लिये हृदय से क्षमा सहित,
भवदीय,
(शरदजैन)
email: info@channelmahalaxmi.com