1 नवंबर 2022/ कार्तिक शुक्ल अष्टमी /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी
यह तीर्थ का प्राचीन नाम नन्दिग्राम – नंदिवर्धनपुर – नन्दिपुर, जो प्रायः प्रभु के भाई नंदिवर्धनने बसाया था। यहा प्रभु वीर के समय की 210 से.मी. की कलात्मक परिकर युक्त, अष्ट प्रातिहार्य युक्त, पद्मासनस्थ, तेजस्वी, मनमोहक साक्षात प्रभु श्री महावीर स्वामी की अनुपम प्रतिमा मूलनायक के हिसाब से बिराजमान है।
सभी प्रतिमा प्राचीन एवं अनुपम कला से शोभायमान है। विक्रम संवत 1201 में जीणोद्धार हुआ था , स्तंभो पे संवत 1130 – 1201 का शिलालेख है। बाद में अनेकबार उद्धार हुआ है।
प्रभु ने चंडकौशिक सर्प को प्रतिबोध किया उनकी स्मृतिरुप द्रव्य तीर्थ की यहा देरी है। जहा प्रभु के चरण पगलिये एवं सर्प की आकृति है। चंडकौशिक ने भगवान को उपसर्ग जोगी पहाडी पे किया था, उनकी स्मृतिरुप यह द्रव्य तीर्थ की देरी है। गांव में दो जिनालय है। धर्मशाला एवं भोजनशाला भी है। राणकपुर के निर्माता धरणशाह रत्नाशाह यहाँ के निवासी थे। आचार्य प्रेमसूरि महाराज का जन्म यहा हुआ था। यह तीर्थ सिरोही स्टेशन से 10 कि. मी. के अंतर पर है। ब्राह्मणवाडजी तीर्थ यहाँ से 7 कि. मी. दूर है।