गांधी नगर (गुजरात)। दादा भगवान फाउंडेशन द्वारा प्रकाशित की जा रही पुस्तकों में महामंत्र, अपराजित मंत्र, नवकार मंत्र, पंचपरमेष्ठी महामंत्र से छेड़खानी की जा रही है, 84 लाख मंत्रों का जनक णमोकार महामंत्र में दो अन्य मंत्रों को लेकर, इसे मरोड़कर त्रिमंत्र बनाकर, इस पावन मंत्र के साथ जो बार-बार, लगातार छेड़खानी की जा रही है,
यह जैन बंधुओं को कैसे स्वीकार हो रहा है, नाम, पता, फोन, ई-मेल यहां देख रहे हैं, क्या हमारी संस्थायें चुप बैठी रहेंगी? यह समूचे जैन समाज पर ही नहीं, हमारे जैन धर्म पर चोट, महामंत्र में क्यों लगाया खोट, आवाज उठाइये, विरोध करिए।