आज ,वैशाख कृष्ण चतुर्दशी को 9 माह के कठोर तप के बाद, 2491 वर्ष दिव्य ध्वनि खिरती रही जिनकी और फिर आयु कर्म जब एक माह शेष रह गया, तो 21 वे तीर्थंकर श्री नेमिनाथ जी पहुंच गए पावन तीर्थ श्री सम्मेद शिखरजी।
तब इसी वैशाख कृष्ण चतुर्दशी ,यानी जो आज 10 मई को भी है ,इसी दिन 1000 महा मुनिराजों के साथ मित्र धर कूट से मोक्ष गए । आपका तीर्थ प्रवर्तन काल 5,01, 800 वर्ष रहा ।
इसी मित्र धर कूट से 900 कोड़ाकोड़ी 1 अरब 45 लाख 7 हजार 942 मुनि मोक्ष गए हैं । पूर्व आचार्य कहते हैं कि इस कूट की निर्मल भाव से वंदना करने से एक करोड़ उपवास का फल मिलता है। बोलिए , तीर्थंकर श्री नमिनाथ स्वामी की जय जय जय।