जहाँ आचार्य वरदत्त ने चार मुनियों के साथ निर्वाण प्राप्त किया :भारतीय डाक विभाग ने जारी किया विशेष आवरण

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नैनागिरि पंचकल्याणक पर विशेष आवरण
बकस्वाहा, निकटवर्ती विश्व का सुविख्यात जैन तीर्थ नैनागिरि (रेशंदीगिरि) में दिनांक 20 से 25 नवंबर 2021 तक आयोजित श्री मज्जिनेंद्र सिद्ध जिनबिम्ब पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव एवं सहस्राब्दी समारोह को स्मरणीय बनाने हेतु दो पृष्ठ का हिन्दी एवं अंग्रेजी में भारतीय डाक विभाग द्वारा विशेष आवरण जारी किया है ।

इस विशेष आवरण मे उल्लेखित किया गया है कि रमणीक पर्वतों के बीच स्थित नैनागिरि(रेशंदीगिरि) बकस्वाहा जिला छतरपुर, मध्य प्रदेश सिद्ध तथा अतिशय क्षेत्र है । यहां आचार्य वरदत्त ने चार मुनियों के साथ निर्वाण प्राप्त किया था । इस तीर्थ पर ईसा पूर्व वर्ष 706 में भगवान पारसनाथ के प्रथम समवसरण की रचना की गई थी । आचार्य कुंदकुंद ने ईसा की प्रथम शताब्दी में प्राकृत निर्वाण काण्ड में इस तीर्थ की वंदना की है । यहां भगवान पारसनाथ के प्रथम मंदिर का वर्ष 1050 में निर्माण किया गया था , जिसका जीर्णोद्धार श्री श्यामले ब्या बम्हौरी द्वारा वर्ष 1564 में किया गया । वर्तमान में नैनागिरि में 58 जैन मंदिर हैं । निर्वाण प्राप्त आचार्य वरदत्त तथा उनके चार मुनियों की पुण्य स्मृति को स्थायित्व प्रदान करने के लिए सिद्ध मंदिर का निर्माण किया गया है ।

जानकारी देते हुए राजेश रागी पत्रकार बकस्वाहा ने बताया श्री मज्जिनेंद्र सिद्ध जिनबिम्ब पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव एवं सहस्राब्दी समारोह के अवसर को स्मरणीय बनाने हेतु यह विशेष आवरण जारी किया गया है । इस विशेष आवरण जारी करने पर श्री दिगंबर जैन सिद्धक्षेत्र (रेशंदीगिरि) नैनागिरि की ट्रस्ट कमेटी के अध्यक्ष सुरेश जैन आईएएस , प्रबंध समिति अध्यक्ष डा.पूर्णचंद जैन , महोत्सव समिति के अध्यक्ष देवेन्द्र लुहारी व महामंत्री राजेश जैन “रागी”(पत्रकार) तथा समिति के समस्त पदाधिकारी व सदस्यों एवं जैन समाज ने भारतीय डाक विभाग, मुख्य पोस्टमास्टर जनरल, मध्यप्रदेश परिमंडल, भोपाल का धन्यवाद आभार ज्ञापित किया ।

संकलन अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमंडी
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