1.20 करोड़ की नौकरी छोड़, धारण किया वैराग्य, शैलेष से बने मुनि वीर सागर जी – 31 मई जन्म दिवस विशेष

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वैसे तो आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के संघ में जन्म दिवस की महत्वता नहीं है, पर हम भक्तो को अवसर चाहिए गुरुगुण गान करने को तो वो अवसर आज मिल गया।

यूँ तो हमारे गुरु महाराज युग शिरोमणि आचार्य विद्यासागर जी से दीक्षित हर शिष्य हीरा है। बेजोड़ है बेशकीमती कोहनूर है। पर हम चर्चा कर रहे है एक ऐसे संत की जिन्होंने आज के हर धरा पर जन्म लिया। महाराष्ट्र के नागपुर शहर में 31 मई 1973 को जन्म लिया। पिता श्री शिखर चंद जी और माता श्री सुषमा देवी आपको पाकर निहाल हुई।

अलौकिक प्रतिभाओं के धनी शैलेश जी लौकिक शिक्षा के शिखर को छूने में कोई कसर नही छोड़ी। केमिकल साइंस से बीटेक किया तो अन्य अन्य डिग्रियां जुड़ती चली गयी पढ़ाई इतनी की जो सुना आश्चर्य करता B.Tech+PGDCA +M.B.A +CFA+FIH आदि आदि

स्वाभाविक ही है इतने उच्च शिक्षित और प्रतिभाओ की खान रहे शैलेश जी को हर कोई अपने से जोड़ने का प्रयास करता। शैलेश जी ने अमेरिका की एक मल्टीनेशनल कंपनी में 1.20 करोड़ के सलाना पैकेज पर काम करना शुरू कर दिया। पर मन अभी भी कुछ अधूरा अधूरा था।

समय बीता युग शिरोमणि आचार्य भगवन विद्या सागर जी का सान्निध्य पाया फिर जीवन की दिशा दशा ही बदल गयी। ओर दुनिया जानती है आचार्य महाराज तो वो पारस पत्थर है जिसे छू ले उसे सोने नही हीरा बना देते है वह सुअवसर आया जब आचार्य भगवन ने श्रावण शुक्ला षष्ठी को शैलेश जी को बना दिया मुनि वीर सागर जी महाराज।

तत्पश्चात आपने 9 वर्ष तक मुनि अवस्था में आचार्यश्री के साथ रहकर आत्मकल्याण किया व बाद में आचार्य भगवन की आज्ञा से उपसंघ बनाकर विहार किया। आपके उपसंघ में पूज्य मुनि श्री विशालसागर जी व पूज्य मुनि श्री धवलसागर जी है दोनों मुनिराज परम तपस्वी व प्रभावक श्रमण है,आपके सानिध्य में उपसंघ निर्माण के बाद सबसे पहले विदिशा में महावीर जयंती का भव्य व ऐतिहासिक आयोजन हुआ व शीतलधाम तीर्थ की रुपरेखा आपके ही सानिध्य में बनी आपके विदिशा से विहार के तुरन्त बाद ही विदिशावासियों का पुण्य इतना जगा कि आचार्य श्री का चातुर्मास विदिशा को प्राप्त हो गया विदिशा के उपरांत आपने खुरई नगर में चातुर्मास किया व वहाँ से उज्जैन होते हुए बागड़ प्रान्त में प्रवेश किया जहाँ आपका चातुर्मास अर्थूर्णा तीर्थ में हुआ वहाँ आपके आशीर्वाद से भव्य जिनालय का निर्माण कार्य चल रहा है अर्थूणा के उपरांत आपका मंगल मिलन ज्येष्ठ मुनि श्री सुधासागर जी ससंघ से हुआ आपने मुनि श्री के साथ 67 दिन रहकर धर्मप्रभावना की व उसके पश्चात नीमच में चातुर्मास किया जिसने अब तक के सम्पन्न हुए सभी चातुर्मासों का कीर्तिमान तोड़ दिया व अद्वितीय जिनधर्म की प्रभावना जैनाजैन लोगों के मध्य की..! !

नीमच के उपरांत लगभग ३ माह तक ज्येष्ठ मुनि श्री प्रणम्यसागर जी के साथ रहकर आपने मुनि श्री के स्वमुख से ज्ञान वारिधि का रसपान किया पश्चात कोटा से विहार करते हुए केकड़ी में ऐतिहासिक महावीर जयंती का कार्यक्रम आपके निर्देशन में सम्पन्न हुआ केकड़ी से विहार करते हुए संघ नसीराबाद पहुँचा जहाँ ज्येष्ठ गुरुभ्राता मुनि श्री प्रमाणसागर जी ससंघ से आपका मिलन हुआ व अब नसीराबाद से विहार करते हुए आप अपने दादा गुरुदेव की स्मृति में बने ज्ञानोदय तीर्थक्षेत्र नारेली में पधारे वहां से जैन क्षेत्र हांसी हरियाणा में अद्वितीय प्राभवना के बाद आप ने मुनि श्री प्रणम्य सागर जी महाराज की अगुवाई में देश की राजधानी दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में जैन धर्म का जमकर डंका बजाया, दिल्ली की भोली जनता को सही श्रमणत्व की परिभाषा से रूबरू कराया। ऐतिहासिक पंचकल्याणक आपके सान्निध्य में ही सम्पन्न हुआ। वही भक्ताम्बर आराधना के बड़े बड़े आयोजन समूची दिल्ली में आपके सान्निध्य व निर्देशन में सम्पन्न हुए। वर्तमान मई 2021 में आप बड़ौत में विराजमान है।

– शुभांशु जैन शाहपूरा