5-6 मई शनि ग्रह निवारक – तीर्थंकर मुनिसुव्रत जी का ज्ञान-जन्म-तप कल्याणक

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सान्ध्य महालक्ष्मी / 02 मई 2021
11 माह तक कठोर तप के बाद 20वें तीर्थंकर श्री मुनिसुव्रत जी ने राजगृही के नील वन में चम्पक वृक्ष के नीचे बैसाख कृष्ण नवमी (05 मई) अपराह्न काल में केवलज्ञान की प्राप्ति हुई। सौधर्मेन्द्र की आज्ञा से कुबेर ने ढाई योजन विस्तार के समोशरण की रचना की। 18 गणधरों के सहयोग से आपने 7,499 वर्ष एक माह के केवली काल में आपकी दिव्य ध्वनि को जन-जन तक पहुंचाया।

आपका जन्म भी इसी राजगृही नगर में बैसाख कृष्ण दशमी (06 मई) को महाराजा श्री सुमित्र जी महारानी सोमावती के गर्भ में जन्म हुआ। 30 हजार वर्ष की आयु, 170 फीट ऊंचा कद और नीले रंग का शरीर, आपको अपने प्रधान हाथी के जाति स्मरण से इसी बैसाख कृष्ण दशमी (6 मई) को अपराह्न काल में वैराग्य की भावना बलवती हो गई और राजगृही नगर के नील भवन में एक हजार राजाओं के साथ दीक्षा ली।

बोलिये तीर्थंकर श्री मुनिसुव्रतनाथ जी की जय – जय – जय।