02 अक्टूबर 2022/ अश्विन शुक्ल सप्तमी /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी /
जहां कई बार बड़े-बड़े भी चुप रहते हैं ,अपने वंदनीय संतो की जब कोई गलत, भ्रामक प्रचार करता है । पर एक नन्हा बालक, जिसकी उम्र शायद 9 वर्ष ही होगी, उसे बहुत आक्रोश आया। कक्षा में जब उप प्राचार्य सिस्टर सोफिया पढ़ा रही थी, सामाजिक ज्ञान के विषय पर, पिछले दो-तीन दिन से । उसमें एक अध्याय पर , जिसमें श्वेतांबर संतो के बारे में, उनकी चर्या में विषय चल रहा था और जिसमें यह भी था कि वह संत भिक्षा (गोचरी) लेकर अपनी भोजन चर्या करते हैं। और उसी विषय पर अनजाने में या अपने को श्रेष्ठ दिखाने के भाव से , वह उपप्राचार्य दिगंबर जैन संतों के दिगंबरत्व पर और उनके आहार आदि पर, निंदनीय टिप्पणियां लगातार कर रही थी।
इससे उस 9 वर्ष के जैन बालक से रहा नहीं जाता। वह दो-तीन दिन से उन्हें लगातार देख रहा था और यह दिगंबर साधूयो के बारे में उस स्कूल में चर्चा भी बन गई थी । यह घटना है रायसेन जिले के सिलवानी पुष्पा विद्यालय की । वह बालक शर्मसार टिप्पणियों से इतना आहत हो रहा था कि गुस्से में उसने डस्टर उठा कर फेंका। बात अब बढ़ने लगी, सोफिया टीचर ने उसके परिजनों को बुला लिया और तब बालक ने सबके सामने उन टिप्पणियों के बारे में बताया कि जो वह 3 दिन से पूरी क्लास और अन्य टीचर सुन रहे थे । परिजनों को बहुत क्रोध आया ।
सिलवानी का युवा समाज उसमें साथ हो गया और फिर एक होकर सब ने आवाज उठाई। पुष्पा विद्यालय के संचालकों को तुरंत उस अभद्र टिप्पणियां करने वाले उप प्राचार्य को निलंबित करना पड़ा और समाज ने नाराज होकर साथ में थाने में आवेदन दिया कि इन पर वैधानिक कार्यवाही की जाए पारसनाथ दिगंबर जैन समिति के अध्यक्ष और महामंत्री ने थाने में 322 / 22 भारतीय दंड संहिता 295a में कार्यवाही करने की मांग की । उस स्कूल के स्कूल स्टाफ ने कहा कि हम दिगंबर जैन मंदिर में आकर वहां विराजमान दोनों दिगंबर संतो मुनि श्री विलोक सागर जी और मुनि श्री विबोध सागर जी के पास आकर क्षमा मांगेंगे । पर उनकी कथनी और करनी में फर्क रहा और वह नहीं आए । इसके बाद समाज में आक्रोश फैल गया और।
इस सारे प्रकरण में उस 9 वर्ष के जैन बालक पर सभी गौरवान्वित महसूस करते हैं कि जिसने इस पर आवाज उठाई कि क्यों दिगंबर संतो को इस तरीके से चाहे, अनजाने में या जानबूझकर अभद्र टिप्पणियां की जा रही है। यह जानकारी उपलब्ध कराई सिलवानी से विकास मोदी जी ने।
एक सवाल सामने आ जाता है कि जैन समाज ऐसे ईसाई स्कूलों में, जैसा यह पुष्पा स्कूल है , इनमें क्यों अपने बच्चों को पढ़ाते हैं , जहां पर ना भारत के लिए कोई सम्मानीय संबोधन होते हैं , ना अपने जैन धर्म के लिए। बल्कि जहां पर जैन धर्म की निंदा तक की जाती है। इस पुष्पा विद्यालय में भी 85 फ़ीसदी जैन बच्चे ही पढ़ते हैं और गजब की बात, वहीं पर जैन संतों के प्रति शर्मसार टिप्पणी की जाती है।
क्या जैन समाज को ऐसे ईसाई स्कूलों का बायकाट नहीं करना चाहिए । हम अपनी पिछली भूलो से कुछ क्यों नहीं सीखते, गोवा में जैनों का दमन, आज भी इतिहास में अंकित है। अभी तक पुलिस द्वारा उचित कार्यवाही ना होने के कारण, वहां पर स्थानीय जैन समाज एक बड़े आंदोलन की तैयारी कर रहा है।