मोक्ष सप्तमी पर फिर #शिखरजी में NO ENTRY

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सान्ध्य महालक्ष्मी / 06 अगस्त 2021
जैन समाज के दो बड़े पर्व मोक्ष सप्तमी के रूप में जाने जाते हैं। पहला आषाढ़ शुक्ल सप्तमी 22वें तीर्थंकर श्री नेमिनाथ जी जिस दिन गिरनार के उर्जन्त शिखर से मोक्ष गये, वहां पर 2018 से जैन समाज को निर्वाण लाडू नहीं चढ़ाने दिया जा रहा, और अब 2020 से श्रावण शुक्ल सप्तमी, जिस दिन 23वें तीर्थंकर श्री पारसनाथ जी पावन अनादिनिधन तीर्थ श्री सम्मेदशिखरजी की स्वर्णभद्र कूट से मोक्ष गये, वहां भी कोरोना के चलते प्रशासन द्वारा एंट्री को बंद किया गया है।

शनिवार 31 जुलाई को जिला प्रशासन ने दोपहर, एकाएक मधुबन तलहटी में दौरा किया और पाया कि 01 जुलाई को जारी जिला निर्देशों का खुला उल्लंघन किया जा रहा था। 20 जुलाई को शाश्वत ट्रस्ट को बकायदा इस सम्बंध में नोटिस भी दिया जा चुका है और फिर 31 जुलाई को 20 पंथी कोठी को भी नोटिस थमा दिया। स्पष्ट निर्देश दिया गया कि सभी यात्रियों का तत्काल प्रवेश बंद हो तथा मंदिरों को बंद रखा जाए।

इस निर्देश से सभी कोठी – धर्मशालाओं में हड़कम्प मच गया। इस समय शिखरजी में तीन बड़े संतों के साथ सौ से ज्यादा पिच्छी विराजमान हैं और इन्हीं के चलते काफी समय से सूनी पड़ी धर्मशाला – कोठियों में चहल-पहल नजर आने लगी है। अब मोक्ष सप्तमी भी एक ऐसा पर्व है, जहां यात्रियों की संख्या 25 हजार को भी पार कर जाती है।

तत्काल शाम को डीसी के साथ सभी की मीटिंग हुई। अनाधिकृत रूप से यह संकेत दिये गये कि 10 अगस्त तक आप कोरोना निर्देशों का पालन करते हुये यात्रियों को प्रवेश दे दें, पर अधिकृत रूप से एंट्री बंद ही रहेगी। अगर कहीं कोई निर्देशों में उल्लंघन पाया गया तो उस पर कड़ी कार्यवाही की जाएगी। साथ ही यह भी स्पष्ट कर दिया गया कि 11 अगस्त से 16 अगस्त तक श्रद्धाओं का प्रवेश बिल्कुल बंद रहेगा। उन दिनों मे ऊपर पहाड़ पर वंदना पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगी।

सान्ध्य महालक्ष्मी सभी यात्रा के इच्छुक श्रद्धालुओं से अनुरोध करता है कि अपनी यात्रा पर जाने से पहले वहां की व्यवस्था और नवीनतम दिशा-निर्देशों के बारे में जानकर ही, वहां जायें, वरना परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।