जैन ग्रंथों की मूल प्राकृत को शास्त्रीय भाषा का दर्जा- प्रधानमंत्री का करेगा जैन समाज सार्वजनिक सम्मान

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॰ एनसीएम की अगुवाई में तीर्थक्षेत्र कमेटी की पहल
24 अक्टूबर 2024/ कार्तिक कृष्ण अष्टमी /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/ शरद जैन /

यह तो सभी को ज्ञात होगा कि चैनल महालक्ष्मी / सान्ध्य महालक्ष्मी की पहल पर भारतवर्षीय दिगम्बर जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी की अगुवाई में देश भर से जैन समाज के आमंत्रित श्रेष्ठियों के साथ राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग में अल्पसंख्यक मंत्रालय के राज्यमंत्री श्री जार्ज कुरियन जी अध्यक्षता में जैनों की पहली मीटिंग आयोजित की गई थी। 27 सितंबर को हुई इस बैठक का विषय था भारतीय संस्कृति की सुरक्षा वाले प्रधानमंत्री के निर्देश की तर्ज पर जैन तीर्थों की सुरक्षा और संरक्षण और दूसरा विषय था प्राकृत भाषा को सरकारी मान्यता। मीटिंग सफल रही। मंत्री श्री जार्ज कुरियन जी तथा आयोग के अध्यक्ष इकबाल सिंह लालपुरा जी ने विश्वास जताया था कि जैनों की मांगों को प्रधानमंत्री कार्यालय तक पहुंचाया जाएगा।

और फिर एक सप्ताह के भीतर खुशखबरी आ गई जब 03 अक्टूबर को अन्य भाषाओं के साथ प्राकृत को भी शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया गया। इससे जैन ग्रंथों पर शोध व जैन संस्कृति के सुनहरे अतीत की और प्रमाणिक जानकारी में सहयोग ही नहीं मिलेगा, बल्कि इस अनेक भाषाओं की जननी व मूल प्राचीन भाषा ‘प्राकृत’ को अपनी ढाई हजार वर्ष प्राचीन आमजन की भाषा के रूप में मान्यता मिल सकेगी। राष्ट्र के राजपत्रित 22 भाषाओं के साथ अन्योन्य भाषिक संबंध को स्थापित करती है प्राकृत भाषा।

इस कदम के लिये जैन समाज के साथ अल्पसंख्यक आयोग अब प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का सार्वजनिक हार्दिक अभिनंदन करने हेतु आमंत्रित जैन श्रेष्ठियों के साथ अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष इकबाल सिंह लालपुरा तथा जैन सदस्य धन्य कुमार जिनप्पा गुंडे जी द्वारा एक आवश्यक मीटिंग अपने कार्यालय में 22 अक्टूबर को बुलाई। इस मीटिंग में भारतवर्षीय दिगंबर जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी की अगुवाई में अध्यक्ष जम्बू प्रसाद जैन, उ.प्र. उत्तराखंड अंचल के अध्यक्ष जवाहर लाल जैन, दिल्ली अंचल अध्यक्ष प्रद्युम्न जैन, प्राकृत विद्वान जय कुमार उपाध्ये, पुनीत जैन, अनिल जैन, मनीष जैन, इंदु जैन, सुनंदा के साथ चैनल महालक्ष्मी भी उपस्थित थी। सभी की सहमति से प्रधानमंत्री महोदय से समय की स्वीकृति से एक पत्र भी जारी कर दिया गया। संभावना है कि दिवाली के बाद यह अभिनंदन समारोह आयोजित हो सकता है। जिसका आयोजन संस्कृति मंत्रालय अल्पसंख्यक आयोग के साथ संयुक्त रूप से करेगा। इसमें सम्पूर्ण भारतवर्ष के प्राकृत के उपासक, आचार्यगण, शैक्षणिक, सामाजिक, धार्मिक विभिन्न जैन संगठनों के प्रमुखों की उपस्थिति में भारत देश का जैन समुदाय और अल्पसंख्यक आयोग के जैन सदस्य करेंगे।

निश्चित ही भारतवर्षीय दिगम्बर जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी की अगुवाई में एक सफल शुरूआत की गई जिसका पूरा श्रेय आयोग के सदस्य धन्य कुमार जिनप्पा गुंडे जी तथा बाबू जम्बू प्रसाद जैन को जाता है।
इस मीटिंग का पूरा लाभ लेते हुए चैनल महालक्ष्मी ने तीर्थक्षेत्र कमेटी के अध्यक्ष व उ.प्र. उत्तराखंड के अध्यक्ष की उपस्थिति में आयोग के अध्यक्ष व जैन सदस्य से गिरनारजी, मंदारगिरि, गोपाचल पर्वत, खण्डगिरि, महावीर सामुदायिक केन्द्र, कपिल शर्मा द्वारा टोडरमल जी का उपहास, सोशल मीडिया पर दिगबंरत्व को नग्न के समान समझने की भूल के साथ जैन तीर्थों के संरक्षण में अल्पसंख्यक आयोग के सहयोग पर लम्बी चर्चा की।

इसकी पूरी जानक्री चैनल महालक्ष्मी के एपसिोड नं. 2933 में भी देख सकते हैं।