6 जून 2022/ जयेष्ठ शुक्ल सप्तमी /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/
आचार्य पुष्पदंत सागर जी के शिष्य और तपोभूमि के प्रणेता आचार्य श्री प्रज्ञासागर जी महाराज ससंघ के सानिध्य में, श्री शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर , एन एन सिटी , इंदौर नगर में पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव आयोजित हो रहा है, जिसमें 20 वे तीर्थंकर श्री मुनिसुव्रतनाथ भगवान जी की भी एक प्रतिमा स्थापित की जा रही है और जिसकी स्थापना जेष्ठ शुक्ल दशमी को होनी है। उस पर प्रशस्ति में लिखा गया है श्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी प्रधानमंत्री काल में इसकी प्रतिष्ठा की गई। अब सवाल यह उठता है कि हमारे मंदिरों में, अगर राजनीतिक कारण इस तरह प्रवेश करेगा, जो अब तक महावीर स्वामी के 2548 वर्ष के जिन शासन में आज तक नहीं देखा गया और अब इसकी शुरुआत किसके द्वारा की जा रही है ।
यह जरूर चिंतन का विषय है और विद्वत जनों को इस बारे में चिंतन करना चाहिए कि क्या अब राजनीति को हमारे मंदिरों में प्रवेश मिलना चाहिए या फिर तीर्थंकरों की, मंदिरों में प्रतिष्ठित की जा रही मूर्तियों पर ऐसे राजनीतिक लोगों के नाम लिखे जाने चाहिए। यह कितना उचित है और कितना अनुचित , चिंतन कीजिए । आपको यहां पर प्रतिमा जी पर जो प्रशस्ति लिखी है वह चैनल महालक्ष्मी दिखा रहा है।
ऐलन सिटी में होने वाले पंचकल्याणक मे लोहारदा की कुछ प्रतिमाओं की प्रतिष्ठा होनी है
मेरे संज्ञान में लोहारदा की मूर्तियों पर खोदी गई प्रशस्ति में निम्न बड़ी त्रुटियां है जो दिगंबर समाज के भविष्य से जुड़ी हुई है
पहला
दिगंबर समाज की सभी मूर्तियों पर आज तक कुंदकुंद आम्नाय एवं मूलसंघ
प्रशस्ति में लिखा जाता रहा है आने वाले वर्षों में हमारी परंपरा की मूर्तियों को दिगंबर आम्नाय की मूर्तियां मानने के लिए यह आवश्यक है कि हम इस 2000 वर्ष पुरानी परंपरा का शुचिता पूर्वक पालन करें
दूसरा
नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री का भी इसमें उल्लेख है जो कि सर्वथा अवांछित है हमें समाज को किसी भी प्रकार की राजनीति में नहीं पड़ते हुए एवं हमारे मंदिरों एवं आचार्य संघों को भी किसी पार्टी विशेष से नहीं जोड़ना श्रेयस्कर होगा इस नई परंपरा को तत्काल प्रभाव से बंद करना चाहिए
अगर आप वर्तमान राजा का नाम लिखना भी चाहे तो वर्तमान में राजा राष्ट्रपति को मानना चाहिए ना कि राष्ट्रपति के मंत्रियों को
तीसरा
लोहारदा का मंदिर तेरापंथी आमनाय का है , इस अमनाय के अंतर्गत महिलाओं के नाम प्रशस्ति में नहीं लिखे जाते हैं यह नाम भी मिटाए जाने चाहिए
पदम कुमार पहाड़िया, लोहारदा निवासी,प्रवासी इंदौर