23 मई 2022/ जयेष्ठ कृष्णा अष्टमी/चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/
एक तरफ जहां भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी सर्वे रिपोर्ट में जैन समाज को मांसाहारी लोगों की कैटेगरी में डालने की जैसे एक नई चाल चली, जिसमें बताया गया कि 14 फ़ीसदी जैन भाई अब नॉनवेज खाने लगे हैं । वहीं दूसरी तरफ इस मांसाहारी मुहिम की एक नई शुरुआत कर्नाटक में भी कर दी गई है जहां अब 16 लाख से ज्यादा बच्चों को मिड डे मील योजना के अंतर्गत, केंद्र सरकार से मंजूरी के बाद कर्नाटक सरकार, अब रोजाना अंडे परोसेगी । यह सचमुच शाकाहारी समाज के लिए शर्मसार बात है ,और अफसोस होता है कि पौष्टिकता के मामले पर अनेक विकल्प मौजूद है , जब अंडे को ही क्यों प्रोत्साहित किया जाता है। क्या धीरे-धीरे आने वाली पीढ़ी को पहले ही मांसाहारी बनाकर शुरुआत की जा रही है ।सचमुच इस तरह से हमारे देश के शाकाहारी भविष्य अंधकार में डूब जाएगा।
जैन मठ जैसे प्रभावशाली धार्मिक संगठनों ने योजना बंद करने के लिए याचिका दायर की थी।, कर्नाटक के सात जिलों में अगले शैक्षणिक साल में मिड-डे-मील मेनू में अंडे रखने के फैसले पर केंद्र सरकार ने मंजूरी दे दी है। बच्चों को कुपोषण मुक्त करने के लिए एक पायलट प्रोजेक्ट के तहत इसको किया है। इसका लाभ रायचूर, यादगीर, बीदर, कलबुर्गी, कोप्पल, बेल्लारी, विजयपुरा के बच्चों को मिलेगा। राज्य के कई साधु संतों ने दोपहर के खाने में अंडे देने का विरोध किया था। मिड-डे-मील योजना के प्रोजेक्ट अप्रूवल बोर्ड (पीएबी) की बैठक में निर्णय लिया गया। इस योजना का 16.06 लाख बच्चों को लाभ मिलेगा जिस पर 44.94 करोड़ खर्च आएगा। बता दें 2021 में मिड-डे-मील का नाम बदलकर पीएम पोषण योजना कर दिया गया था।
46 दिनों के लिए योजना को मिली मंजूरी
पीएबी-पीएम पोषण की लंबी चर्चा के बाद 7 जिलों में 46 दिनों के लिए 16.06 लाख बच्चों को दोपहर के खाने में एक अंडा देने की मंजूरी दी गई। इसके लिए 7 जिलों में अनुमानित खर्च 44.94 करोड़ है, जिसमें केंद्रीय हिस्से के रूप में 26.96 करोड़ रुपये और राज्य के हिस्से के रूप में 17.98 करोड़ रुपये शामिल हैं।
राज्य सरकार ने केंद्र को बताया कि उसके उत्तर-पूर्वी हिस्से में “सबसे ज्यादा सामाजिक-आर्थिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े हुए लोग रहते हैं”। बताया कि ज्यादातर परिवार के सदस्य अनपढ़, अस्वस्थ, बेरोजगार और सामाजिक मिथकों और गलत धारणाओं से पीड़ित हैं। वे अपने बच्चों को रोजाना जरूरत के अनुसार खाना नहीं दे पा रहे हैं। उनकी गंभीर गरीबी और अपर्याप्त भोजन के कारण उनके बच्चे स्कूल भी नहीं जा पा रहे हैं। ये बच्चे एनीमिक और पाचन की कमी से पीड़ित हैं और कई तरह की बीमारी से ग्रसित हैं।
वर्तमान में, 13 राज्यों और तीन केंद्र शासित प्रदेशों के मध्याह्न भोजन मेनू में अंडे हैं: तमिलनाडु (दैनिक); आंध्र प्रदेश (प्रति सप्ताह पांच दिन); तेलंगाना, और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह (सप्ताह में तीन बार); झारखंड, ओडिशा, त्रिपुरा, पुडुचेरी (सप्ताह में दो बार); बिहार, केरल, मिजोरम, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, लद्दाख,…एक नई शुरुआत कर्नाटक में भी