सम्मेद शिखरजी में चारों प्रकार के आहार त्याग कर 125 संतों के सानिध्य में ले ली यम सल्लेखना, मुनि श्री प्रमाण सागर जी ने दिया संबोधन ,चौथा दिन

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15 फरवरी 2023/ फाल्गुन कृष्ण दशमी/चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी
छपक मुनिराज समाधि की ओर -सम्मेद शिखरजी में 125 संतों के सानिध्य में यम सल्लेखनारत को ग्रहण करने वाले विरले छपक मुनि राज मेरू भूषण जी महाराज को संबोधन देने पूज्य मुनि श्री प्रमाण सागर जी महाराज आए

क्षपक मुनिराज श्री मेरुभूषण जी महाराज ने सम्मेद शिखरजी में दिनांक 12-2-2023 को चतुरविध संघ के समक्ष यम सल्लेखना लेकर चारों प्रकार के आहार का त्याग कर दिया है l

मधुबन सम्मेद शिखर मैं परम पूज्य क्षपक मुनि श्री मेरु भूषण जी महाराज की उत्कृष्ट साधना समाधि चल रही है जिसमें परम पूज्य मुनिराज मेरु भूषण जी ने अन्य जल का हमेशा के लिए त्याग कर दिया है जिसको यम सल्लेखना कहते हैं जो व्यक्ति यम सल्लेखना करता है वह व्यक्ति दो या तीन भाव में मोक्ष को प्राप्त कर लेता है यदि दो या तीन भाव में मोक्ष नहीं जाता है तो अधिक से अधिक सात या आठ भव में मोक्ष चला जाता है। परम पूज्य मुनिराज मेरु भूषण जी ने अपने जीवन में तप त्याग संयम की आराधना करते हुए दिगंबर जैन मुनि पद को प्राप्त किया आचार्य पद से सुशोभित हुए जिन्होंने अपने जीवन काल में संयम की आराधना करते हुए अपने जीवन को संयमित किया जैन धर्म में सल्लेखना जीवन का अंतिम लक्ष्य होता है जो परम आवश्यक होता है साधु पद का महत्व संयम से और सल्लेखना से ही होता है

सल्लेखना में मन को इंद्रियों को कसाय को कृष करना सल्लेखना कहलाती है यह सल्लेखना पांच प्रकार की होती है और सत्तह प्रकार की होती है जिसमें उत्कृष्ट सल्लेखना पांच प्रकार की मानी गई है परम पूज्य आचार्य में भूषण जी महाराज 12 वर्ष की सल्लेखना पहले से ले ली और उसमें अब जीवन के अंतिम पड़ाव की ओर यम सल्लेखना पूर्वक सभी प्रकार का रस पानी अन्न आदि का त्याग करके 3 दिन से सभी कुछ त्याग कर दिया है मात्र आत्म ध्यान में लीन है आत्म चिंतन में लीन है आत्मा को निकट देख रहे हैं जीते जागते संयम को पालन कर रहे हैं अपने आपको मरण करते हुए देख रहे हैं यह जैन धर्म में ही होता है जिसको संथारा या सल्लेखना कहते हैं

सल्लेखना बड़े पुण्य के उदय से कोई कोई व्यक्ति कर पाता है सल्लेखना में परिवार से ममत्व मिलने जुलने वालों से महत्व आने और जाने वालों से राग जिनके साथ आपने अपना मुनि पद मैं ममत्व किया है वह सब का त्याग करके सबको क्षमा करके सबसे क्षमा मांग करके धारण करने वाले विरले ही संत हुआ करते हैं जिनमें से एक है मेरी भूषण जी महाराज?

मेरु भूषण जी महाराज अपने निर्यापक मुनि के निर्देशन में अनवरत सल्लेखना को धारण किए हुए जिसके निर्देशक बड़ी अच्छी प्रकार से चल रहा है मेरु भूषण जी महाराज जागृत अवस्था में सल्लेखना धारण करने वाले वर्तमान के प्रथम मुनिराज है जिन्होंने सम्मेद शिखर की पावन धरा पर अनंतानंत परमेष्ठी जहां से मोक्ष को पधारे उसी पावन स्थली को अनंत मुनियों ने अपनी आत्मा का कल्याण किया है उसी पर परम पूज्य मेरु भूषण जी महाराज आगरा से चलकर सिद्ध क्षेत्र सम्मेद शिखर मधुबन में अपनी आत्मा का कल्याण करने जा रहे हैं जो कि एक अद्भुत है सभी को एक अद्भुत नजारा है सभी के मन में अकुलता और व्याकुलता है पूज्य गुरुदेव वर्तमान की सर्वश्रेष्ठ साधकों में से एक है जिन्होंने संथारा को धारण कर अपने जीवन को पत्रित से पावन बनाने का प्रयास किया है।

करीब सम्मेद शिखर में 125 संतों के सानिध्य में संथारा को ग्रहण करने वाले भले ही संत होते हैं विरले ही मुनिराज होते हैं परम पूज्य आचार्य श्री मेरु भूषण जी महाराज वर्तमान की वर्धमान कहें तो अति सयोक्ति ही नहीं होगी ।