3 मार्च 2023/ फाल्गुन शुक्ल दवादिशि /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/
18 दिन हो गए क्षपकराज श्री मेरु भूषण जी को यम सल्लेखना लिए, यानि चारों प्रकार के आहार का त्याग किए हुए आचार्य श्री मेरु भूषण जी ने अपने संयमित जीवन में बहुत कुछ विशेष कार्य करें। समाज के लिए हुबली के निकट श्री आदिनाथ जी मंदिर में 20 साल पुराना विवाद चल रहा था, जिसे निपटवाया।
इंदौर चातुर्मास के दौरान 13 दिन अन्न, जल का त्याग कर दिया और फिर दिल्ली में भी 11 दिन का अन्न, जल त्याग कर, गिरनार के लिए जैन समाज की आवाज को प्रशासन तक पहुंचाया। शिखरजी में बलि प्रथा के विरोध में 6 दिन अन्न, जल का त्याग किया। बार-बार वे समाज की बात को प्रशासन तक पहुंचाने के लिए अन्न, जल का त्याग करते रहे हैं।
20 अक्टूबर 2011 को सोनागिरी में आचार्य श्री मेरू भूषण जी महाराज ने 12 वर्ष की सल्लेखना ली थी। आगरा में उन्होंने एलाचार्य श्री अतिवीर जी महाराज को आचार्य पद दिया और अब उन्होंने शिखरजी में विप्रणत महाराज जी को आचार्य पद देकर, अपनी यम सल्लेखना की ओर मार्ग प्रशस्त किया था।
इस समय आचार्य विप्रणत जी महाराज निर्यापकत्व की भूमिका निभा रहे हैं तथा पूरी तरह सेवा भाव में लगे हुए हैं। 18 दिनों से क्षपक राज श्री मेरू भूषण जी ने अन्न जल सहित चारों प्रकार के आहार का त्याग कर, उत्तम समाधि मरण की ओर मार्ग प्रशस्त कर रखा है।