जैन समाज एक फैसला करें कि उसे अपने पूजनीय मंदिर चाहिए या घूमने मस्ती के टूरिस्ट प्लेस #saveshikharji

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8 जनवरी 2022/ माघ कृष्ण दूज /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी /
क्यों जैन समाज चाहता है श्री सम्मेद शिखरजी को पर्यटन क्षेत्र की बजाय, पवित्र जैन तीर्थ क्षेत्र, जिस पर सरकार ने घुमा फिरा कर पकड़ा दिया हाथ में बताशा।
क्या आप जानते हैं इस्लाम धर्म के पवित्र तीर्थ स्थल मक्का में गैर-मुस्लिमों का प्रवेश वर्जित है.

जैन धर्म के तीर्थराज सम्मेद शिखरजी को झारखंड सरकार की ओर से पर्यटन स्थल घोषित किए जाने पर बवाल मचा हुआ है. देशभर में झारखंड सरकार के इस फैसले के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं. राजनीतिक बिसात पर जैन समाज को किस तरह उन्हीं के नेताओं के बीच कठपुतली बना दिया जाता है, झुनझुना थमा दिया जाता है, इसका जीवंत उदाहरण है पर्यावरण मंत्रालय के वन महानिरीक्षक का 5 जनवरी 2023 का पत्र, जो इंदिरा पर्यावरण भवन में लिखा गया, जिसका विषय था पवित्रता की रक्षा करना।

और जो जैन समाज पिछले कुछ महीनों से आंदोलित था और अब उसके साथ जब पूरा मीडिया और अन्य धर्म के लोग भी साथ जुड़ चुके थे, ऐसे में उसकी जो मुख्य मांग थी कि श्री सम्मेदशिखरजी को पवित्र जैन तीर्थ घोषित किया जाए तथा वहां से पर्यटन की सभी गतिविधियों , कुटीर उद्योगों पर त्वरित विराम लगे। ऐसे में उनको केवल ईकोटूरिज्म संबंधी बातों में समझा कर बात की गई ।

जैन समाज की मांग है कि ‘श्री सम्मेद शिखर को पवित्र जैन तीर्थ क्षेत्र ही रहने दिया जाए. इसके पर्यटन स्थल बनने से इस धार्मिक स्थान की पवित्रता भंग हो जाएगी. यहां लोग मांस-शराब का सेवन करेंगे. जिसके चलते जैन धर्म के ऐतिहासिक तीर्थ स्थलों पर खतरा बढ़ेगा.’ जैन समुदाय का ये भी कहना है कि वो अपने तीर्थ स्थलों का व्यापारीकरण नहीं होने देंगे और ऐसे फैसले बिल्कुल भी स्वीकार्य नहीं हैं.

सम्मेद शिखरजी को लेकर जैन धर्म के लोगों के विरोध-प्रदर्शन के बीच इसे लेकर सियासी बवाल भी छिड़ गया है. इस स्थिति में सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर पर्यटन स्थल और तीर्थ स्थल में क्या अंतर होता है? आइए जानते हैं कि सम्मेद शिखर को लेकर क्यों मचा है बवाल?

क्या होते है पर्यटन स्थल?

आमतौर पर पर्यटन स्थलों को टूरिस्ट प्लेस के तौर पर जाना जाता है. पर्यटन स्थल के रूप में लोगों के पास हिल स्टेशन, बीच से लेकर ऐतिहासिक इमारतों तक की एक लंबी-चौड़ी लिस्ट होती है. दरअसल, इन जगहों पर लोग अपनी रोजमर्रा की जिंदगी के तनाव को कम करने और अपने परिवार के साथ मौज-मस्ती के कुछ पल बिताने या अकेले ही ये तमाम चीजें करने के लिए जाते हैं. पर्यटन स्थलों पर लोगों पर किसी तरह की कोई खास पाबंदी नहीं होती है. आसान शब्दों में कहें, तो खान-पान से लेकर कपड़ों तक को लेकर कोई नियम नहीं होते हैं.

कैसे बनाए जाते हैं पर्यटन स्थल?

पर्यटन स्थलों का निर्माण राज्य सरकारें अपने प्रदेश के नागरिकों को रोजगार और व्यवसायों को बढ़ावा देने के लिए करती हैं. किसी इलाके को पर्यटन स्थल घोषित करने के बाद सरकारें विकास योजनाओं के सहारे वहां का सौंदर्यीकरण समेत उस स्थान को पर्यटकों की पहुंच में लाने के लिए सड़क, रेल, हवाई मार्ग जैसी चीजों को विकसित करती है. इससे राज्य सरकार की आमदनी भी बढ़ती है.

क्या होते हैं तीर्थ स्थल?

अलग-अलग धर्मों के लिए कुछ जगहें अपने पौराणिक महत्व को लेकर समुदायों के बीच आस्था के केंद्रों के रूप में बहुत पवित्र स्थान रखती हैं. इन्हें ही तीर्थ स्थल कहा जाता है. इन तीर्थ स्थलों पर खान-पान, आचरण और पहनावे को लेकर कुछ नियम-कायदे होते हैं. पर्यटन स्थलों से अलग तीर्थ स्थलों में आध्यात्मिक माहौल में मानसिक शांति पाने के लिए आते हैं.

तीर्थ स्थल के लिए क्या करती हैं सरकारें?

अलग-अलग धर्मों के तीर्थस्थलों के लिए राज्य सरकारें संरक्षण से लेकर उनकी धार्मिक शुचिता को बनाए रखने के प्रयास करती है. यूपी सरकार ने बीते कुछ वर्षों में अयोध्या, काशी और मथुरा को तीर्थ क्षेत्र घोषित किया है. इन इलाकों शराब और मांस की बिक्री पर प्रतिबंध लगाकर पवित्रता और आस्था को संरक्षित किया है. दुनियाभर में ऐसे तीर्थ स्थल हैं, जहां तमाम तरह के प्रतिबंध लागू होते हैं. उदाहरण के तौर पर इस्लाम धर्म के पवित्र तीर्थ स्थल मक्का में गैर-मुस्लिमों का प्रवेश वर्जित है.