26 अप्रैल 2024 / बैसाख कृष्ण तृतीया /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/
हां, 70 वर्षीय टीकमगढ़ निवासी हुकुम चंद जैन, जिसने अपना जीवन मंदिर सेवा के लिए अर्पित किया, 5 सालों से कुरुक्षेत्र के ब्रह्मसरोवर के दिगंबर जैन मंदिर में पूजा का काम करते, थोड़ा सा वेतन पाते और फिर ब्रह्मसरोवर पर ही खेल-खिलौने, खाने-पीने और अन्य समान बेचकर कुछ पैसे प्राप्त करना और उसमें से कुछ रखकर, शेष अपने गांव में भेज देना। उसे नहीं मालूम था कि 02 अप्रैल के बाद जब देश में सब, प्रथम तीर्थंकर श्री आदिनाथ जी का जन्म-तप-कल्याणक मनाने के लिए मंदिरों में पूजा अर्चना करेंगे, तो उसे सेवा का मौका ही नहीं मिलेगा। हां, हुकुमचंद, रोजाना चार बजे ही उठ जाते थे, उस तड़के भी उनके उठने के समय से 15 मिनट पहले दरवाजे की कुंडी खटखटाई, खोला, सामने खड़े दो में से एक को पहचाना कि अगले ही क्षण दोनों ने उन्हें गिराकर गला रेत दिया। कर दी क्रूरतम हत्या एक बार फिर मंदिर प्रांगण में। आज हमारे मंदिर तीर्थ ही सुरक्षित नहीं, वहां रहने वाले भी असुरक्षित हो गये हैं, इस बारे में समाज को नये सिरे से चिंतन की आवश्यकता है।
कोरोना काल में हुकुम चंद जैन पर पहले ही मार पड़ चुकी थी, उनकी पत्नी और एक बेटा मौत का ग्रास बन गये थे। छोटी दो पोती और लगभग पूरे परिवार का भार उन्हीं के कंधों पर था। अष्टमी-चतुर्दशी का व्रत रखने वाले हुकुम चंद जैन बहुत सीधे थे। उनकी नातिन ने सांध्य महालक्ष्मी को फोन पर बताया कि परिवार की आर्थिक स्थिति बिल्कुल खराब है, वो ही वहां से पैसा भेजते थे। इस उम्र में भी मंदिर में पूजा-पाठ के साथ अपने सारे काम करते, लोगों के लिये खाने-पीने की चीजें बनाते, हलुआ बनाते और फिर जब बिक जाता, तो उसे फोन करते – देख मैंने आज सारा हलुआ बेच दिया, 200 रुपये मिले, घर भेज रहा हूं।
ऐसे की, किसी ने क्यों हत्या की? ऐसे सरल स्वभावी की हत्या की सबसे पहले जानकारी उसी धर्मशाला में रहने वाली कमला को मिली। जब वह उठी, तो उसके दरवाजे की कुंड़ी बंद थी, वह पीछे के गेट से बाहर निकली, तो देखा पुजारी का दरवाजा भी बाहर से बंद चार बजे उठने वाला, और यह क्यों बंद। उसने खोला और देखकर स्तब्ध रह गई कि भीतर तख्त पर हुकुम चंद की लाश पड़ी थी। ट्रस्टियों को सूचना दी, पुलिस भी आई, आसपास के सीसीटीवी खगालते हुये तीन दिन में हत्या का सुराग पाकर, दो को गिरफतार कर लिया। कारण पता चला कि तीन दिन पहले जैन मंदिर धर्मशाला के कमरे में जैन पुजारी की हत्या बदला लेने के लिये की गई।
सीआई-एक के प्रभारी सुरेन्द्र कुमार ने हत्या का खुलासा करते हुए बताया कि पुजारी ने 6 माह पहले ही वहां पूरे परिवार के साथ सालों से रहने वाले दीपक को बाहर निकलवा दिया था। वह मंदिर में सफाई का काम करता था, पर उसका चाल-चलन ठीक नहीं था, मांस-शराब का धर्मशाला में सेवन करता। इसकी शिकायत ट्रस्टियों को की, जानकारी दी, उन्होंने उसे निकाल दिया और दीपक ने रंजिश मान, बदला लेने की ठान ली।
30 साल से धर्मशाला में रहने वाले दीपक, गणेश कालोनी में रहने लगा, उसकी मुलाकात वहीं ब्रह्मसरोवर के पास घूमने वाले मुनरिया कला (रोहतक) के अमन से दोस्ती हो गई। दोनों ने मिलकर पुजारी की हत्या की योजना बनाई। लड़ाई-झगड़े के मामले में अमन सुनाटिया जेल में रह चुका है। दीपक जानता था कि पुजारी हुकुमचंद रोजाना चार बजे उठ जाता है। मंगलवार रात को दोनों ब्रह्म सरोवर में घूमते रहे, साढ़े तीन बजे तड़के अपनी स्कूटी धर्मशाला के पास खड़ी की। करीब पौने चार बजे दोनों आरोपी दीवार फांदकर अंदर घुस गये। कमला व चौकीदार के दरवाजे की, बाहर से कुंडी लगा दी और पुजारी का दरवाजा खटखटाया। जैसे ही पुजारी ने दरवाजा खोला, दोनों उस पर टूट पड़े। पुजारी के तख्त पर गिरते ही गला रेतकर हत्या कर दी। पुजारी के पास रखे दो हजार रुपये और मोबाइल भी ले गये, पकड़े जाने के डर से, कमरे का दरवाजे की कुंडी बंद कर भाग निकले। पुलीस ने चौकीदार दान सिंह की शिकायत पर मामला दर्ज कर दोनों को गिरफ्तार कर लिया।
अब जैन समाज के सामने सवाल यह है कि मंदिर असुरक्षित हो रहे हैं, सुरक्षा किस तरह रहे, इसके पुख्ता इंतजाम करने होंगे, इसी तरह कुछ समय पहले आचार्य श्री कामकुमार नंदी जी की तीर्थ पर नृशंस हत्या कर दी गई थी। (इस बारे में पूरी जानकारी चैनल महालक्ष्मी के एपिसोड न. 2529 व 2532में देख सकते हैं।)