कैलाश नगर मंदिर के सामने हादसा पड़गाहन पूर्व गिरी छतरी ॰ युवा बालक पर पत्थर गिरने से मृत्यु, कई को चोटें, टांके, फ्रेक्चर ॰ आचार्य संघ के बढ़ते कदम, बस कुछ दूर थे

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॰ 4 दिन पहले लगे टीन शेड ने कई जानें बचाई
02 अगस्त 2024// श्रावण कृष्ण त्रयोदशी //चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/शरद जैन /
शुक्रवार, 26 जुलाई को घड़ी 10 बजाने के लिये बढ़ रही थी। आचार्य श्री सुबल सागरजी संघ भक्तामर हीलिंग कार्यक्रम के बाद कैलाश नगर गली नं. 2 के दिगम्बर जैन मंदिर में आहार हेतु विधि लेकर बस बाहर पड़गाहन के लिये बढ़ ही रहे थे। बाहर सभी पड़गाहन के लिये खड़े थे। तभी अचानक एक तेज धड़ाम की आवाज। कोई संभल नहीं पाया, उस पल।

युवा इकलौता चिराग, असमय बुझ गया
कैलाश नगर में कारोबार और घौंडा मौजपुर में रहने वाले सतीश जैन (मोने) के इकलौते 18 वर्षीय युवा पुत्र कुनाल जैन मंदिर के ऊपर की तरफ देख रहे थे। बड़ी मंदिर की सीढ़ियों से पड़गाहन के लिये परिजनों की ओर बढ़ते मनोज जैन, (महामंत्री, दिगंबर जैन नैतिक शिक्षा समिति) महज 8 कदम दूरी से यह देख रहे थे। उन्होंने सान्ध्य महालक्ष्मी को बताया कि कई बड़े-बड़े पत्थर के टुकड़े, टिन शेड पर धड़ाम से गिरे और उनमें से एक पत्थर सीधा कुनाल के ऊपर, रक्त की धारा बह निकली, तुरंत उसे अस्पताल ले जाया गया, पर रास्ते में ही उसकी सांसों ने साथ छोड़ दिया। सतीश जी के घर का इकलौता चिराग असमय यूं बुझ गया, जब वो पड़गाहन का थाल लिये गुरुओं के आहार के लिये खड़ा था। सान्ध्य महालक्ष्मी की ओर से हार्दिक श्रद्धांजलि।

कुछ को आई चोंटें, टांके, फ्रेक्चर
मनोज जी ने बताया कि उनकी जिंदगी और मौत के बीच दस कदम का फासला था। पड़गाहन में खड़ी उनकी पत्नी, भाई, बहू को भी चोटें आई हैं। टांके लगे, फ्रेक्चर हुआ। कुछ और को भी चोटें आर्इं।

पत्थर गिरे टंकी के ऊपर गुंबद से
बाद में पता चला कि मंदिर की छत पर पानी की टंकी रखी है, उसी पर छतरी बनी थी, उसी के हिस्से धड़ाधड़ गिरे। पत्थरों के टुकड़े बहुत बड़े-बड़े थे, सामने वाले मकान पर भी गिरे, वहां भी नुकसान हुआ।

चंद सेकेंड से बच गया पूरा संघ
मनोज जी मंदिर की दहलीज पर, आचार्य श्री 9 पिच्छी के साथ चंद सेकेंड में उसी पड़गाहन वाली जगह पर होते। क्या यह सारा कोप उस युवा बालक ने अपने ऊपर ले लिया था?

कौन रोक गया बड़ा भयानक हादसा
त्यागी भवन के आगे शेड केवल 4 दिन पहले ही लगाया गया था। उसी टिन शेड पर बड़े-बड़े पत्थरों के टुकड़े गिरे और उनकी तीखी मार को टिन शेड ने झेल लिया, उसके नीचे तब 10-12 श्रावक-श्राविका पड़गाहन के लिये खड़े थे। मनोज जी के अनुसार अगर वो टिन शेड नहीं होते, तो इतनी बड़ी त्रासदी होती, जिसकी कल्पना करके रूह कांप उठती है। चार दिन पहले लगा यह शेड, जैसे सबके बचाव के लिये सुरक्षा ढाल बन गया था।

छतरी गिरी क्यों?
वैसे सुरक्षा की दृष्टि इस बात की मंदिर कमेटी को जांच अवश्य करानी चाहिये कि क्या कारण रहे, पानी की टंकी के ऊपर बनी छतरी के अचानक गिरने के। कहीं कोई लीकेज, या कमजोर कड़ी और तो नहीं?