आज समस्त विश्व और भारत करोना बीमारी से पीड़ित है। लाखों लोग मर रहे हैं रोग पीड़ितो से अस्पताल भरें है। सरकार अपनी तरफ से कार्य कर रही है। जीवन रक्षक उपकरण और ऑक्सीजन दुर्लभ हो रहे हैं ऐसे में धर्म संस्थाओं का कर्तव्य है कि आगे आये और पीड़ितों की सेवा करें इस बेला में सिख समाज ने जो तत्परता दिखाइ है और रोग पीड़ितों की जो सेवा कर रहे हैं वह सर्वथा प्रशंसनीय हैं।
सिख समाज ने यह दिखा है। कि वे देश रक्षा में ही नहीं सेवा में भी वीर है मैं इस अवसर पर में सभी धर्म संस्थाओं को प्रेरणा कर रहा हूं वह भी आगे आएं और सेवा धर्म से जुड़े। भगवान महावीर का धर्म अहिंसा है। अहिंसा का अर्थ है- सेवा, प्रेम और सहयोग।
इतिहास गवाह है जैनो ने राष्ट्र सेवा में सदैव आगे बढ़कर कार्य किया है। भामाशाह, जगडु शाह, खेमा देदराणी आदि अनेक उदाहरण हैं, जब उन्होंने अपनी संपदा राष्ट्र को समर्पित कर दी थी।
आज इस कठिन दौर में जैन समाज को जागना चाहिए। औषध द्वारा, भोजन के द्वारा तथा तन, मन, धन से पीड़ितों की सेवा करनी चाहिए, सभी संप्रदाय धर्म स्थानों में संचित धन राष्ट्र सेवा हेतु अर्पित कर देना चाहिए। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कहा था नर सेवा ,नारायण सेवा है। भगवान महावीर ने कहा था जे गिलाणं पडियरइ से धमें। सेवा करने वाला महान है।
वैदिक धर्म में कहा है, पीड़ित, रोगी की सेवा करना ईश्वर की पूजा है। इस्लाम में कहां है इंसान की खिदमत करना खुदा की बंदगी करना है। यीशु ने सेवा को सबसे अच्छा मार्ग बताया था। ये जितने भी धर्म शास्त्रों के वचन हैं, इनको साकार करने का यही अवसर है।
अतः प्रत्येक व्यक्ति अपनी क्षमता के अनुसार सेवा का कार्य अवश्य करें। मैं जैन समाज को आहवाहन करता हूं आगे बढ़कर राष्ट्र सेवा करें और अहिंसा धर्म को साकार करें।।
ये प्रेरणादायक विचार गुरुदेव ने बरेटा से प्रेषित किये है।
निवेदक :- सतीश जैन