08 दिसंबर 2022/ मंगसिर शुक्ल पूर्णिमा /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी
25 धनुष ऊंचाई, 55000 वर्ष की आयु और फिर बिना राजपाट के एक दिन अध्रुव आदि भावनाओं का चिंतवन करते करते, 19 वे तीर्थंकर श्री मल्लीनाथ भगवान जी को, वैराग्य की भावना बलवती हो जाती है। 300 राजाओं के साथ दीक्षा लेते हैं।
जयंत पालकी से पहुंच जाते हैं, मिथिला नगर के, शाली वन में, जहां पर मात्र 6 दिन कठोर तप करते हैं।
सभी 24 तीर्थंकरों में , मात्र 6 दिन, सबसे कम अवधि में केवल ज्ञान प्राप्त करने वाले, हमारे 19 वे तीर्थंकर हैं श्री मल्लीनाथ भगवान जी, जिन्हें पौष माह की कृष्णा की द्वितीया को अश्वनी नक्षत्र में अपराहन काल में, मनोहर वनके अशोक वृक्ष के नीचे, केवल ज्ञान की प्राप्ति होती है।
जानकारी मिलते ही सौधर्म इंद्र की आज्ञा से, कुबेर 3 योजन विस्तार के समवशरण की रचना करता है, जिसमें 28 गणधर, तीर्थंकर मल्लिनाथ जी की दिव्यध्वनि आगे विस्तारित करते हैं ।
बोलिए 19 वे तीर्थंकर, श्री मल्लीनाथ भगवान जी के, ज्ञान कल्याणक की जय जय जय।