31 दिसंबर 2020 का अंतिम दिन, पौष कृष्ण द्वितीया। इसी दिन मात्र 6 दिन का तप करने के बाद, मिथिला नगर के मनोहर वन में ,अशोक वृक्ष के नीचे, अपराह्न काल में, 19 वे तीर्थंकर श्री मल्लीनाथ जी को केवल ज्ञान की प्राप्ति हुई ।
तत्काल सौधर्मेन्द्र धर्म की आज्ञा से , कुबेर ने 3 योजन विस्तार वाले, समों शरण की रचना की । आपका केवलि काल 84899 वर्ष 11 माह 24 दिन का रहा। आपके अठाईस गणधर थे। बोलिए तीर्थंकर मल्लिनाथ जी की जय।