144 घंटे में केवलज्ञान बने तीर्थंकर महान-19वें तीर्थंकर श्री मल्लिनाथ जी- गर्भकल्याणक 12 अप्रैल को

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बात कर रहे हैं 19वें तीर्थंकर श्री मल्लिनाथ जी की, वे अपराजित विमान में आयु पूर्ण कर मिथिला नगर के महाराज श्री कुंभराज की महारानी महादेवी (प्रभावती) के गर्भ में आये, वह दिन था चैत्र शुक्ल एकम जो आ रहा है 12 अप्रैल को। 25 धनुष ऊंचा कद और आयु 55 हजार वर्ष। आपको मात्र 6 दिन के तप के बाद केवलज्ञान की प्राप्ति हो गई थी, 24 तीर्थंकरों में सबसे कम तप। वैसे सबसे ज्यादा एक हजार वर्ष का तप करने वाले प्रथम तीर्थंकर के ज्येष्ठ पुत्र भरत चक्रवर्ती को अन्तमुहर्त में ही यानि 48 मिनट में केवलज्ञान की प्राप्ति हो गई थी, क्योंकि वो 96 हजार रानियों व भोगने के लिये अतुलनीय सम्पदा के बावजूद घर में ही बैरागी की तरह रहे।
खैर सोमवार 12 अप्रैल 19वें तीर्थंकर का गर्भकल्याणक दिवस है, और हां जैनों का दूसरा सम्प्रदाय 19वें तीर्थंकर को महिला मनात है, क्यों? इसमें जाने की बजाय बोलिये, तीर्थंकर श्री मल्लिानाथ की जय… जय… जय…।