हम सभी के लिए यह अत्यंत ही गौरव की बात है की पूरे भारतवर्ष में कहीं भी अगर जिनालय का निर्माण हो, जिनवेदी का कार्य हो, मानस्तंभ या कीर्तिस्तंभ बनाना हो या जिनालय के अन्दर-बाहर की साज-सज्जा का कार्य हो तो बिना मकराना संगमरमर के बिल्कुल भी संभव नहीं है।
मगर अफसोस है कि सफेद संगमरमर के लिए भारत वर्ष में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में विख्यात ऐसे राजस्थान के प्रमुख नगर मकराना में मुनि-आर्यिकाओं का सानिध्य प्राप्त करने के लिए उनके प्रवास हेतु एक भी संतशाला नहीं है।
पुण्य के उदय से मकराना में संतशाला की आवश्यकता को महसूस करते हुए तथा निर्यापक मुनि पुंगव 108 श्री सुधासागर जी महाराज के जिज्ञासा समाधान कार्यक्रम से प्रेरित होकर स्व.श्री छगनलाल जी एवं स्व.श्री पुखराज जी पाटोदी की पुण्य स्मृति में श्रीमती शांतिदेवी धर्मपत्नी स्व.श्री पुखराज जी पाटोदी सुपुत्र श्री स्वरूपचंद जी श्री रूपचंद जी (गुवाहाटी प्रवासी) श्री रमेशचंद जी पौत्र रितेश रोहित सम्यक प्रपौत्र आर्यन पाटोदी परिवार मिठङी (राजस्थान) निवासी वालों ने अपनी 288 गज जमीन जो कि वसुंधरा काॅलोनी मकराना में है उसे सकल दिगम्बर जैन समाज, मकराना को आचार्य विद्यासागर संतशाला बनाने के लिए समर्पित की है।
जिनशासन में वर्णित है कि जरूरत पर किये गये सहयोग/दान के पुण्य की सीमा नहीं होती। कुछ ऐसे ही मकराना समाज में अति आवश्यक संतशाला निर्माण हेतु किये गये प्रेरणास्पद भूमि दान के लिए समाजसेवी/दानवीर/मुनिभक्त समस्त पाटोदी परिवार का सकल दिगम्बर जैन समाज, गुवाहाटी ह्रदय से आभार व्यक्त करते हुए उनके पुण्य की बहुत बहुत अनुमोदना करता है।
महावीर प्रसाद जैन हाथीगोला➖अध्यक्ष