मकर संक्रांति- भरत चक्रवर्ती (जिनके नाम पर देश का नाम भारत हुआ) ने सूर्य में स्थित जिनबिम्ब की अपने राजमहल की खिड़की से खड़े होकर पूजा करी

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अंबाह ।इस वर्ष सूर्य का मकर राशि में परिवर्तन को लेकर पंचांग में भेद है जिस वजह से मकर संक्रांति का त्योहार दो दिन यानी 14 और 15 जनवरी को मनाया जाएगा। … इस वर्ष सूर्य का मकर राशि में परिवर्तन को लेकर पंचांग में भेद है जिस वजह से मकर संक्रांति का त्योहार दो दिन यानी 14 और 15 जनवरी को मनाया जाएगा

ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक जब सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तब मकर संक्रांति मनाई जाती है. खगोलशास्त्र के मुताबिक देखें तो सूर्य जब दक्षिणायन से उत्तरायण होते हैं, या पृथ्वी का उत्तरी गोलार्ध सूर्य की ओर मुड़ जाता है उस दिन मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है.

जैन धर्म में मकर सक्रांति का महत्व इस दिन सूर्य वर्ष में एक बार मकर राशि में आता है, इस दिन प्रथम जैन तीर्थंकर श्री आदिनाथ भगवान के पुत्र भरत चक्रवर्ती (जिनके नाम पर देश का नाम भारत हुआ) ने सूर्य में स्थित जिनबिम्ब की अपने राजमहल की खिड़की से खड़े होकर पूजा करी । इससे पूर्व स्नान किया तथा पूजा के पश्चात लड्डू का वितरण किया

आइए जानते हैं मकर संक्रांति लोक पर्व क्यों है

मकर संक्रांति के दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है। इस राशि परिवर्तन के समय को ही मकर संक्रांति कहते हैं। यही एकमात्र पर्व है जिसे समूचे भारत में मनाया जाता है, चाहे इसका नाम प्रत्येक प्रांत में अलग-अलग हो और इसे मनाने के तरीके भी भिन्न हों।

– सौरभ जैन वरेह वाले अंबाह (मुरैना)