16 नवंबर 2022/ मंगसिर कृष्ण अष्टमी /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/
जिनका चल रहा जिनशासन, वही 24 वे तीर्थंकर , श्री वर्धमान या कहे अधिक परिचित नाम, श्री महावीर स्वामी, जिन्होंने 12 वर्ष तक कठोर तप किया यानी जीवन का 16 फ़ीसदी आयु का हिस्सा, उनका तप में ही व्यतीत हुआ। इतना अधिक तप यानी 16 फ़ीसदी जीवन की आयु का, किसी भी और तीर्थंकर ने व्यतीत नहीं किया ।
आपने राज् भी नहीं किया और मंगसिर कृष्ण दशमी को, हां वही दिन है, जब आपने जाति स्मरण से अपनी माता त्रिशला को समझाते, अनुमति लेते हुए, वैराग्य की ओर कदम बढ़ाए । कुंडल ग्राम के साल वृक्ष के नीचे , चंद्रप्रभा नाम की पालकी से अकेले ही गए, जबकि अधिकांश तीर्थंकर एक हजार के लगभग अन्य राजाओं के साथ दीक्षा लेते हैं।
पर आपने अकेले ही दीक्षा ली। पंचमुष्टि केशलोंच किए और फिर कठोर तप की साधना में लीन हो गए । दीक्षा का वही दिन मंगसिर कृष्ण दशमी, 2nd अब 19 नवंबर को आ रहा है । बोलिए , 24 वे तीर्थंकर श्री वर्धमान स्वामी जी के तप कल्याणक की जय , जय, जय।