महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान में क्या ‘महावीर स्वामी दिगम्बर स्वरूप में नहीं रहेंगे’ ॰ लाखों स्कूलों के करोड़ों बच्चों के पास भेजी विवादित जानकारी

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॰ दिगम्बर जैन समाज ने मानो कर लीं आंखें बंद
॰ आचार्य श्री सुनील सागरजी ने राजस्थान उपमुख्यमंत्री को कहा
और चैनल महालक्ष्मी ने सौंपा ज्ञापन
30अक्टूबर 2024/ कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/ शरद जैन /

पूरा देश वर्तमान जिनशासन नायक श्री महावीर स्वामी का 2550वें निर्वाण महोत्सव वर्ष को मना रहा है और ऐसे सुअवसर पर एक बार फिर राज्य सरकारों द्वारा उनके 2551वें मोक्ष कल्याणक से ठीक पहले अपने सभी सरकारी, निजी स्कूलों में 6 से 12वीं कक्षा के करोड़ों बच्चों को महावीर स्वामी के चारित्र में कई विवादित जानकारियां पहुंचा कर, उनके दिगम्बरत्व पर ही प्रश्न चिह्न लागने की मानो कोशिश की है।
जैसा आप सबको बड़ा सुखद अहसास होगा कि इस 2550वें निर्वाण महामहोत्सव वर्ष में राज्य सरकारें महावीर स्वामी का जीवन एवं उपदेश पर निबंध प्रतियोगिता जारी कर रही हैं। गुजरात व महाराष्ट्र में ऐसा हो चुका है और 25 अक्टूबर को बीकानेर से माध्यमिक शिक्षा राजस्थान विभाग द्वारा समूचे राजस्थान में इसकी शुरूआत करने के लिये आदेश जारी कर दिया है। इसके लिये आकर्षक पुरस्कार रखे गये हैं, प्रत्येक जिले में मुख्य पुरस्कार 10 हजार रुपये का तथा 10 आश्वासन पुरस्कार 1000 रु. प्रत्येक के होंगे। राज्य स्तरीय प्राथमिक एवं माध्यमिक विभाग स्तर पर प्रत्येक में 3,02,550 के प्रथम तथा 1,02,550 के द्वितीय पुरस्कार दिये जाएंगे। यह प्रतियोगिता राजस्थान में 01 से 07 दिसम्बर के बीच हर स्कूल स्तर पर आयोजित होगी। इस आकर्षक अच्छी घोषणा में जैन समाज के प्रमुख दिगम्बर समुदाय का मानो उपहास उड़ाया गया है।


भारतीय संस्कृति को गलत रूप से पेश करने व महावीर स्वामी के प्रति कई विवादित जानकारियां केवल श्वेताम्बर मत से देकर उनके चारित्र को मानो एक पक्षीय पेश कर, एक बड़ा विवाद पैदा कर दिया है।
अफसोस तो इस बात का है कि गुजरात में इस विवादित जानकारी पर 72 हजार निबंध आये, पर दिगंबर समाज से एक ने भी विरोध प्रकट नहीं किया। अध्यात्म परिवार के प्रमुखों में से एक मनीष शाह ने चैनल महालक्ष्मी से कहा कि केवल आप ही हैं, जो कई बातों को विवादित बता रहे हैं, हमें किसी ने भी आज तक कोई शिकायत नहीं की है। ऐसे ही जब महाराष्ट्र में यह विवादित पुस्तक ‘अध्यात्म का एवरेस्ट भगवान महावीर’ रातों-रात एक लाख से ज्यादा स्कूलों को भेजी गई, तब भी चैनल महालक्ष्मी ने ही विरोध की शुरूआत की थी, और तब भी कहा गया कि आप ही विषय को विवादित बता रहे हैं। बाद में मुनि पुंगव श्री सुधा सागरजी, आचार्य श्री सुनील सागरजी, आचार्य श्री गुणधरनंदी जी ने भी विरोध किया।

आचार्य श्री गुणधरनंदीजी द्वारा दिगम्बर समाज के सड़कों पर आने की बात कहने पर महाराष्ट्र के मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ाजी ने क्षमा तो मांग ली, पर दिगम्बर समाज को कोई राहत नहीं मिली। अब एक बार फिर राजस्थान में इस विवादित पुस्तक के साथ महावीर स्वामी पर कई विवादों को जन्म दिया है, जब केवल एक मत ही सभी बच्चों को बताया जा रहा है। ऐसे कुछ विवाद हैं-
॰ क्षत्रिय कुंड नगर में उनका विवाह हुआ तथा प्रियदर्शना नाम की बेटी हुई (जबकि वे बाल ब्रह्मचारी थे)।
॰ 28 वर्ष की आयु में उनके माता-पिता दोनों का स्वर्गवास हो गया। (जबकि दीक्षा के समय उन्होंने दोनों से अनुमति ली थी। )
॰ महावीर स्वामी के बड़े भाई और बहन थे। (माता त्रिशला की केवल एक संतान हुई)
॰ दीक्षा के बाद जब सब वस्त्र उतार दिये, तब इन्द्र ने उन्हें अंगवस्त्र प्रदान किया। (उनके दिगम्बरत्व पर ही प्रश्नचिह्न खड़ा कर दिया)
॰ वे स्नान नहीं करते, मात्र हाथ-पैर का प्रक्षालन करते।
॰ माता के गर्भ में आने पर मां ने 14 स्वप्न देखे।
॰ अवधि ज्ञानी महावीर स्वामी को इतना हल्का माना कि उन्हें स्कूल पढ़ने भेजा गया।
॰ वृषभनाराच संहनन के महावीर कानों में लकड़ी डालने पर चीख पड़े और उन्हें असहनीय दर्द हुआ।
॰ महावीर स्वामी को मोक्ष कार्तिक की नहीं, अश्विन की अमावस को हुआ।
ऐसी अनेक विवादित जानकारी देकर, बच्चों में महावीर स्वामी के दोषपूर्ण चारित्र की प्रदर्शित कर, उनको छोटा दिखाने वे दिगम्बरत्व पर प्रश्न करने की कोशिश की गई।

इसके विरोध के लिये चैनल महालक्ष्मी-सान्ध्य महालक्ष्मी की टीम किशनगढ़ में आचार्य श्री सुनील सागरजी के पास पहुंची। उनको सभी दस्तावेज दिखाये। उसी दिन वहां विद्वत गोष्ठी के शुभारंभ के लिए राजस्थान के उपमुख्यमंत्री डॉ. प्रेमचंद जी बैरवा उपस्थित हुये। आचार्य श्री ने उनके सामने स्पष्ट रूप से इस विवादित पुस्तक को रोकने की बात कही तथा इसकी जगह निर्विवाद पुस्तक भी उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया। हैरानगी तब हुई, जब वहां उपस्थित सभी विद्वानों की ओर से इसके विरोध में दो शब्द तक नहीं कहे गये, जबकि देश के प्रमुख 40 विद्वान महावीर स्वामी पर ही लेखों का वाचन कर रहे थे। लगता है कि कहीं न कहीं इस विषय पर विद्वत जन अपनी भूमिका नहीं निभा रहे।

आचार्य श्री से संकेत मिलने पर चैनल महालक्ष्मी ने एक ज्ञापन तैयार कर उपमुख्यमंत्री महोदय को दिया और उनसे स्पष्ट रूप से कहा जैसे प्रधानमंत्री महोदय के चारित्र पर जब जानकारी दी जाती है, तो विवाह, पत्नी जैसे अनावश्यक बातों को अलग कर दिया जाता है, ऐसे ही तीर्थंकर महावीर स्वामी जी के चारित्र को पेश करते समय अनावश्यक विवादित बातों को नहीं देना चाहिये। उनसे स्पष्ट रूप से चैनल महालक्ष्मी ने कहा कि अगर इसको रोकने-सुधारने के लिये त्वरित एक्शन नहीं लिया गया, तो जैन समाज सरकार का विरोध करने सड़कों पर भी उतर सकता है। उन्होंने आश्वासन तो दिया है, पर अफसोस यह है कि ऐसे गंभीर विषयों पर हमारे श्रेष्ठीजन लापरवाही क्यों बरतते हैं? दिगंबर समाज में लाखों रुपये माला, तिलक आदि के लिये, बोलियों में खर्च कर देते हैं, वहीं दूसरे सम्प्रदाय ने उतने रुपये खर्च कर करोड़ों बच्चों में उस बात का बीजारोपण कर दिया, जिनके सामने दिगंबरत्व पर ही प्रश्नचिह्न लग जाये।

इस बारे में चैनल महालक्ष्मी का एपिसोड नं. 2941 तथा 2946 देख सकते हैं।