पांच कल्याणक – इस युग में अंतिम बार महावीर स्वामी के हुए : कब हुए कल्याणक, कैसे बने तीर्थंकर, कैसे पड़े 5 नाम और कौन सी 11 अतिश्यकारी प्रतिमायें

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19 अप्रैल 2024 / चैत्र शुक्ल एकादशी/चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/ शरद जैन

गर्भ कल्याणक : त्रिशला माता को 16 स्वप्न दिखे – श्वेत ऐरावत, ऋषभ, सिंह, लक्ष्मी आदि और स्पष्ट हो गया कि पुष्पोत्तर विमान में आयु पूर्ण कर जीव त्रिशला माता के गर्भ में आ गया। वह दिन था आषाढ़ शुक्ला षष्ठी, शुक्रवार 17 जून 600 ई.पू.)


जन्म कल्याणक – गर्भ के 6 माह पूर्व से जन्म तक कुबेर दिन के तीनों पहर साढ़े तीन करोड़ रत्नों की वर्षा करता है, यानि 48,250 करोड़ रत्नों की वर्षा (कई जगह 4 बार रत्नवर्षा का उल्लेख) फिर सौधर्म इन्द्र ऐरावत पर बैठाकर शिशु को सुमेरु पर जन्माभिषेक करता है। 9 माह 7 दिन 12 घंटे के गर्भ काल के बाद, वह दिन था चैत्र शुक्ल त्रयोदशी, 599 ई. पू. सोमवार, 27 मार्च

तप कल्याणक – मार्गशीर्ष कृष्ण दशमी, 29 दिसंबर 569 ई.पू. को 29 वर्ष, 5 माह, 15 दिन के कुमार काल के बाद राजमहल छोड़ लोक के कल्याण के लिये अकेले दीक्षा हेतु वैशाली कुंडग्राम के नागखण्ड उपवन में ‘नम: सिद्धेभ्य:’ कहते हुये तप में लीन हो गये।

ज्ञान कल्याणक – 12 वर्ष 5 माह 15 दिन के कठोर तप के बाद बैसाख शुक्ल दशमी रविवार, 23 अप्रैल 552 ई.पू. को ऋजुकुला नदी के तट पर केवलज्ञान की प्राप्ति हुई, पर गणधर की उपस्थिति ना होने से 66 दिन तक दिव्य ध्वनि नहीं खिरी।

मोक्ष कल्याणक – 29 वर्ष 5 माह 22 दिन की देशना के बाद, कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी के अंतिम पहर के स्वाति नक्षत्र में 15 अक्टूबर 522 ई.पू., मंगलवार को 71 वर्ष 4 माह 25 दिन की आयु के बाद सिद्धालय में विराजमान हो गये।

बने तीर्थंकर के पोते, नारकी – तिर्यंच-देव : कहां-कहां नहीं भटके, तीर्थंकर बनने से पहले

॰ सबसे दूरवर्ती भव में बने भीलों के राजा पुरुरवा, कौवे का मांस त्याग भव सुधारा।
॰ फिर देव बनने के बाद प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव के पोते व भरत चक्रवर्ती के पुत्र बने पर मिथ्यात्व में भटक गये।
॰ स्वर्ग-ब्राह्मण भवों के बाद इतर निगोद के बाद वृक्ष, तिर्यंच, राजा आदि भवों में झूलते रहे।
॰ स्वर्ग-मनुष्य – नरक भवों से विकट वन में सिंह पर्याय, दो मुनि के उपदेश से हिंसा त्याग, देव बने।
॰ ब्राह्मण-राजपुत्र के भवों के बाद अच्युत स्वर्ग में अहमिन्द्र बने।

वीर, वर्द्धमान, सन्मति, अतिवीर, महावीर – कैसे पड़े 5 नाम

1. वीर : सौधर्म इन्द्र जब 1008 विशाल कलशों से तीर्थंकर शिशु का अभिषेक शुरु करने लगा तो शंका हुई बालक तो धरा से खण्ड-खण्ड हो जाएगा, तब जिन बालक ने बायें पैर के अंगूठे से 99 हजार योजन के विशाल मेरु को कम्पायमान कर अपने अतुल बल का परिचय दिया, तब इन्द्र ने रखा नाम ‘वीर’।
2. वर्द्धमान : जन्म से ही घर में, नगर में, राज्य में, वृद्धि समृद्धि होने लगी, बस यही देखकर पिता राजा सिद्धार्थ ने नाम रखा ‘वर्द्धमान’।
3. सन्मति : एक दिन झूला झूल रहे थे, कि वहां से गुजरते दो चारण ऋद्धिधारी मुनि संजय और विजय को, उन्हें देखते ही शंका का निदान हो गया, बस नाम रख दिया – ‘सन्मति’।
4. अतिवीर : एक दिन मदोन्मत हाथी, इधर-उधर सब तहस-नहस करता तबाही मचा रहा था, वहीं खेल रहे थे वर्द्धमान। सब भागे, पर वह उसके सामने खड़े हो गये, उसके मस्तक पर चढ़ गये, तब जनता ने नाम रखा ‘अतिवीर’।
5. महावीर : स्वर्ग में उनकी शूरता की चर्चा सुन संगम देव उनको मजा चखाने पहुंच गया वहीं, जहां वर्द्धमान मित्रों के साथ तिन्दूशक खेल रहे थे। तब वह संगम देव काला भयंकर सर्प बनकर उसी वृक्ष से लिपट गया, सब मित्र भाग गये, पर वर्द्धमान उस पर चढ़कर क्रीड़ा करने लगे। फिर संगम देव ने उनकी स्तुति कर पांचवां नाम रखा ‘महावीर’ जो सबसे ज्यादा लोकप्रिय हो गये। (कुछ जगह उनके द्वारा उज्जैन शमशान में रुद्र के द्वारा नाम रखने का उल्लेख आता है)

महावीर स्वामी की 11 अतिशयकारी प्रतिमायें, कहां-कहां, कौन-सी

1. चांदनपुर गांव में 78 सेमी ऊंची महावीर स्वामी की मनोहारी प्रतिमा, जिसे 17वीं सदी में श्रीमहावीरजी, करौली जिले के हिण्डन ब्लाक में विराजमान किया गया और इसी प्रतिमा से महावीर स्वामी के स्वरूप की पूरे विश्व में पहचान बन गई।
2. वर्ल्ड हैरिटेज की ऐलोरा, औरंगाबाद की 32वीं गुफा में है 9वीं सदी की यह पद्मासन प्रतिमा, जिसमें खड्गासन यक्ष-यक्षिणी बने हुए हैं।
3. मदुरै, तमिलनाडू से 10 किमी दूरी पर सामनार हिल्स पर नागमलाई में रॉक कट 9वीं सदी की मनोहारी प्रतिमा।
4. पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित कलुगुमलाई तमिलनाडू में पांडपन कला की उकेरी 150 प्रतिमाओं में से प्रमुख 8वीं सदी की यह सिंह के तीन लांछन के साथ महावीर प्रतिमा।
5. 1890 की कंकाली टीला, मथुरा से खुदाई में निकली यह गुप्तकाल की चतुर्मुखी प्रतिमा वर्तमान में म्यूजियम में है।
6. ओडिसा से प्राप्त 11वीं सदी की बायीं तरफ आदिनाथ, दायीं तरफ महावीर स्वामी की लंदन के ब्रिटिश म्यूजियम में सबसे अनोखी प्रतिमा लांछन के साथ।
7 सिएटल एशियन आर्ट म्यूजियम में 14वीं सदी की चौबीसी के साथ थोड़ी क्षतिग्रस्त यह पदमासन महावीर प्रतिमा, जिसके ऊपर दोनों ओर गजराज, यक्ष-यक्षिणी हैं।
8. अम्बापुरम आंध्रप्रदेश के नेदुम्बी बसदि की 7वीं सदी के दोनों ओर पारस प्रभु की प्रतिमाओं के बीच पदमासन मनोहारी महावीर प्रतिमा।
9. रहली, पटनागंज, सागर म.प्र. में 700 वर्ष प्राचीन अतिश्यकारी 13 फुट ऊंची पदमासन प्रतिमा (यह क्षेत्र औरंगजेब के हमलों व महामारी के बाद खत्म हो गया, फिर 1944 में गणेश प्रसाद वर्णी जी ने इस
क्षेत्र को संवारा)।

10. विरुन्नामलाई, येलर, तमिलनाडू के थिरावोयल में 25 फीट ऊंची चट्टान पर उकेरी 4 प्रतिमाओं में से एक महावीर प्रतिमा। ऊपर तीन छत्र और दायें-बायें यक्ष-यक्षिणी हैं।
11. 47 टन वजनी यह पदमासन प्रतिमा कुतुबमीनार के ठीक सामने अहिंसा स्थल, महारैली, दिल्ली में 16 फीट 2 इंज ऊंची है, जिसमें प्रतिमा 13 फीट 6 इंच तथा कमल 2 फीट 8 इंच का है। प्रतिमा का वजन 30 टन व कमल 17 टन का है, जो ग्रेनाइट की बनी है।

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