महाराष्ट्र सरकार द्वारा दिगम्बर जैन समाज पर तीन तमाचे ॰ पहले अंतरिक्ष पार्श्वनाथ में अन्याय, फिर महावीर स्वामी पर विवादित पुस्तक तथा अब महामंडल नियुक्ति में दिगम्बर जैन समुदाय को नकारा,

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दिगंबर जैन समाज का दबाव, नियुक्ति रोकी और दो दिगंबर सदस्यों को जोड़ा

16 अक्टूबर 2024/ अश्विन शुक्ल चतुर्दशी /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/ शरद जैन /
जी हां, वो दिन था 04 अक्टूबर, जब महाराष्ट्र सरकार ने केबीनेट की मंजूरी से जैन अल्पसंख्यक आर्थिक विकास महामंडल के स्थापना की घोषणा की, निश्चित यह हर्ष का विषय है। यह कई मामलों में राजस्थान जैन कल्याण बोर्ड से बेहतर है, कारण वह बोर्ड केवल सुझाव दे सकता है, जबकि इसके द्वारा 100 करोड़ का फण्ड दिया जाएगा और यह लाभ 100 करोड़ का ना होकर हजार करोड़ का होगा। कैसे? शायद नहीं समझे आप। जैन समाज को आर्थिक रूप से मजबूत करने कई योजनायें जैसे – बिग बैंक योजना, कर खाता योजना, व्यक्तिगत खाता ब्याज, बिना लाभ के जैन समुदाय के समग्र विकास के लिये प्रतिपूर्ति योजना, समूह खाता प्रतिपूर्ति योजना आदि का लाभ मिलेगा। विशेष बात यह है कि जैन समुदाय बैंक से सीधा ऋण लेगा और ब्याज इस विकास महामण्डल द्वारा दिया जाएगा। बैंक को, इसलिये सहयोग राशि दस गुना के लगभग बन जाती है।

दिगम्बर समाज से बैरभाव – तीन झटके या तीन तमाचे
जैनों में भेदभाव की दीवार को ऊंचा करते पहले तो शिरपुर के अंतरिक्ष पार्श्वनाथ में महाराष्ट्र के मराठा जैन समुदाय से बाहरी द्वारा अतिक्रमण, मारपीट, गाली-गलौच, महिलाओं से उत्पीड़न, मंदिर में शराबी के रूप में चल रहे अन्याय पर महाराष्ट्र सरकार द्वारा आंखें मूंदे रहना दिगम्बर समाज से पहला भेदभाव था।
फिर अभी कुछ समय पहले महावीर स्वामी के निर्वाण महोत्सव वर्ष पर महाराष्ट्र के एक लाख स्कूलों में 5 से 10वीं कक्षा तक के डेढ़ करोड़ बच्चों के लिये निबंध प्रतियोगिता रखी थी, जिसमें महावीर स्वामी जी के चारित्र पर विवादित पुस्तक रातों रात हर जगह भेज दी, जिसमें महावीर स्वामी पर कई आपत्तिजनक, विवादित बातें लिखी थीं। बढ़ते विरोध पर मंत्री मंगल प्रभात लोढा जी ने दिगम्बर समाज से कहा – मिच्छामि दुक्ड़म्।

पर वह क्षमा, शायद दिखावा थी, क्योंकि अब जैन महामंडल में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सदस्य की नियुक्ति में एकबार फिर दिगम्बर जैन समाज को नकार दिया। जी हां, मुख्यमंत्री द्वारा अध्यक्ष पद पर ललित गांधी जी और उपाध्यक्ष पद पर अरविंद शाह, दोनों ही मूर्तिपूजक श्वेताम्बर की नियुक्ति की तथा तीसरे सदस्य के रूप में स्थानकवासी मितेश नाहटा की नियुक्ति की।
यह तब है जब महाराष्ट्र में 80 से 85 फीसदी जैन समाज दिगम्बर समुदाय का है। सांगली, सतारा, कोल्हापुर जैसे जिलों में तो अगर सीट जीती है तो दिगम्बर जैन समुदाय ही निर्णायक रोल अदा करता है। जो श्वेताम्बर मूर्तिपूजक 5 फीसदी हैं, उसे दोनों पद देना स्पष्ट करता है कि महाराष्ट्र की वर्तमान सरकार पूरी तरह दिगम्बर जैन समाज की विरोधी है, ऐसा ही कुछ बर्ताव गुजरात में भी देखने को मिल रहा है।

चैनल महालक्ष्मी द्वारा लगातार आवाज उठाए जाने पर, आचार्य गुणधर नंदी जी ने मोर्चा संभाला और उन्होंने एक बड़ी बैठक कर ,दिगंबर समुदाय की ताकत के लिए जैसे ही आह्वान किया, महाराष्ट्र सरकार द्वारा तत्काल 2 दिगंबर सदस्यों को उसमें जोड़ लिया गया, जिम श्री सुनील कुमार पाटनी , औरंगाबाद तथा राय साहब जिन गोंडा पाटिल जी शामिल किए गए और साथ ही अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के रूप में की गई नियुक्ति को भी रोक दिया। इससे स्पष्ट संकेत मिलता है कि जब-जब जैन समाज अपनी आवाज उठता है तो उसका असर पड़ता है। जरूरत है इस समय जागरूकता की, अन्याय के विरोध में खड़ा होने की और अपनी बात को सही मंच तक पहुंचाने की। शुरुआत चैनल महालक्ष्मी ने की और उसे सफलता तक आचार्य श्री गुणधर नंदी जी ने पहुंचा दिया।

चैनल महालक्ष्मी टिप्पणी : एक के बाद एक लगातार तीन बार दिगम्बर जैन समाज की अनदेखी स्पष्ट करती है कि कैसे सत्ता-प्रशासन उससे अन्याय की नीति पर काम कर रहा है। 20 नवम्बर को आगामी चुनाव में मिलकर एकजुट होकर हमें विरोध को प्रकट करना होगा। अगर अब भी चुप रह गये, तो निश्चित ही दिगम्बर जैन समाज को गर्त में गिराने के हम ही बड़े कारण बनेंगे।
इस पर पूरी जानकारी चैनल महालक्ष्मी के एपिसोड नं. 2919 में देख सकते हैं।