ज्येष्ठ कृष्ण द्वादशी – इसी दिन शुरु होगी #प्रलय-कुछ नहीं बचेगा 39,456 वर्ष बाद-#महाप्रलय

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सान्ध्य महालक्ष्मी डिजीटल
इस समय हम और आप जी रहे हैं अवसर्पिणी काल के पंचम काल में जिसको शुरू हुए 2544 वर्ष हुए हैं और अब से 39,456 वर्ष बाद इसी ज्येष्ठ कृष्ण द्वादशी को महाप्रलय आएगी, जो 49 दिन चलेगी और सबकुछ नाश कर देगी। 523ई.पू. शुरू हुआ था 21 हजार वर्ष का पंचम काल। इस काल के जब 3 साल साढ़े आठ माह शेष रह जाएंगे तब आर्यखण्ड से चतुर्विध संघ, जैन धर्म, राजा और अग्नि का अभाव हो जाएगा, फिर उसके 63 हजार साल बाद आर्यखण्ड में धर्म का उदय होगा।

यानि जब हम काल के 49 दिन शेष रह जाएंगे, तब उस ज्येष्ठ कृष्ण द्वादशी को महाप्रलय की शुरूआत होगी, ऐसा जलजला जो एक काल में एक ही बार आता है, सब कुछ नाश, कुछ नहीं बचता।

तब ऐसी भयानक प्रलय में कुथ देव और विद्याधर दया दिखाते हैं, पुण्यशाली 72 युगलों और कुछ अन्य जीवों को विजयार्थ पर्वत आदि स्थानों में रख देते हैं।
1. तब पहले सात दिन विनाशक तेज वायु चलती है, जिनसे वृक्ष – पर्वत चूर-चूर होते हैं, सारे मनुष्य – पशु – पक्षी बचने का ठिकाना ढूंढते हैं, पर कुछ नहीं मिलता, एक दम बर्फीली हवा।

2. फिर अगले सात दिन गंभीर गर्जना के साथ खारे जल की बारिश शुरू होती है, जो एक क्षण नहीं रुकती।

3. प्रलय यू ही खत्म नहीं होती, फिर उसके बाद जहरीले पानी की बरसात बादल शुरू कर देते हैं। त्राहि-त्राहि मच जाती है।

4. फिर चौथे सप्ताह में दम घोंटू धुएं की बरसात होती है, कुछ नहीं दिखता, सांस तक नहीं ली जाती।

5. फिर पांचवें सप्ताह में भयंकर धूलि की बरसात, कल्पना कीजिए क्या ऐसे में कौन बच पाएगा, न छत, न कपड़े, न पेड़, न पर्वत।

6. फिर छठे सप्ताह में वज्र बरसते हैं आसमान से, बड़ी-बड़ी चट्टाने उड़-उड़ कर धड़ाम-धड़ाम गिरती है, लगातार सात निदों तक, इसकी तो आप कल्पना भी नहीं कर सकते।
7. और 43वें दिन अग्नि बरसनी शुरू होगी, आग ही आग, जो इस भरत क्षेत्र के आर्यखण्ड में चित्रा पृथ्वी के ऊपर ए योजन तक गहराई तक भूमि को जला देगी। महाप्रलय में सबकुछ खत्म।

फिर श्रावण माह की कृष्णा प्रतिपदा से 49 दिन सुवृष्टि होती है, मानो नया निर्माण होता है, जिससे भाद्रप्रद शुक्ल चतुर्थी तक पृथ्वी फिर हरी भरी हो जाती है। विजयार्थ पर्वत से 72 युगल निकलते हैं और शुरू होता है दस दिनों तक दस धर्मों की पूजा दशलक्षण, जो हम और आप हर साल मनाते हैं।

इस समय जो हमारी ऊंचाई 5 से 7 फीट सामान्यत: होती है, यह घटते-घटते डेढ़ फीट रह जाएगी, अबकी 70-80 वर्ष की आयु भी 15 साल तक घट जाएगी।

वैसे आपको पता है सबसे पहले प्रथम सुषमा-सुषमा काल में मनुष्यों की आयु 36 हजार से 24 हजार फुट तक होती थी, जो चौथे काल में घटते-घटते 3200 से 42 फुट तक रह गई थी। यानि पंचम काल के शुरू में यह 42 फुट थी, जो इस काल के अंत तक 5 फुट रह जाएगी और छठे काल के अंत में मात्र डेढ़ फुट रह जाएगी।

तब न घर होगा, न कपड़े होंगे, न परिवार, एक-दूसरे का मांस नोंच-नोंच कर खायेंगे, क्योंकि पकाने के लिये अग्नि नहीं होगी और लोग मरकर नरक और तिर्यंच गति में जाते हैं। यह क्रम 10 कोड़ा कोड़ी सागर में चलता रहता है, एक बार बढ़ते क्रम में, और एक बार घटते क्रम में। अब घटता क्रम है अवसर्पिणी काल, जिसमें आयु, कद, सुख, सम्पदा, बल, स्मरण शक्ति, सबकुछ घटता ही जाता है।