पंचम काल के सबसे समर्थ, चारण ऋद्धि सम्पन्न, जमीन से चार अंगुल ऊपर गमन करने वाले, सदेह विदेह क्षेत्र जाकर साक्षात् पूर्व विदेह में विराजमान तीर्थंकर देवाधिदेव 1008 श्री सीमन्धर स्वामी के दर्शन करने वाले, दिव्य ध्वनि सुनने वाले, समयसार आदि 84 ग्रन्थों की रचना करने वाले, भारत के महान राजा विक्रमादित्य के अग्रज, गौतम गणधर के उपरांत तृतीय मंगल के रूप में मान्य महानतम आचार्य परमेष्ठी प्रथम कुन्दकुन्द स्वामी की जन्म जयंती, दीक्षा जयंती है।
आज माघ शुक्ल पंचमी को ही ज्ञान पंचमी या दिगम्बर जैन धर्म के अनुसार सरस्वती जयंती या श्रुतावतार दिवस है, आज के ही दिन आचार्य अर्हद्बलि के आदेश और सानिध्य में उन्हीं के द्वारा भगवान महावीर की दिव्य ध्वनि को लिपिबद्ध करने का शुभारम्भ किया गया था, श्रुत का अवतरण हुआ था, इसीलिए इसे श्रुतावतार दिवस या ज्ञान पंचमी या सरस्वती जयंती कहते हैं।
माघ मास के दशलक्षण पर्व का प्रथम दिवस उत्तम क्षमा पर्व का दिन, पुष्पांजलि व्रत का प्रथम दिन है। आज से दश दिन तक दशलक्षण पूजन, पांच दिन तक पंचमेरु पूजन भी करना चाहिए।
जिनवाणी पूजन, आचार्य कुन्दकुन्द स्वामी पूजन अवश्य करें।