जब भी जैन धर्मावलंबियों पर उपसर्ग आता है, तो हम सभी उस विषय को गंभीरता से लेकर अपने अपने स्तर पर उसके निराकरण हेतु प्रयासरत हो जाते है हालांकि यह उत्साह कुछ दिनों तक रहता है ,उसमें भी अत्यंत सीमित जनसंख्या के पश्चात भी कई उपसंप्रदायों , समूहों , क्षेत्रों में बंटे हुए है ,उससे भी अधिक दुःखद विषय यह भी है कि हम धर्म / सामाजिक उपसर्ग को भी अपना नाम चमकाने के माध्यम बना लेते है और संस्थाएँ बनने लगती है,नेता चयन होने लगता है और कुछ दिनों के उत्साह के पश्चात हम उस विषय को भूल जाते है, हम धर्म रक्षार्थ एवम सामाजिक हित मे कार्य करेंगे तो समाज मे हमारा वैसे ही नाम होगा और समाजजनों द्वारा आपको मान-सम्मान भी मिलेगा ।
हमारी ऐसी सोच कि अरे यह तो दिगम्बरों की समस्या है, श्वेतांबरों की समस्या है, तेरापंथी की समस्या है, उन महाराज जी के अनुयायियों की समस्या है, उस गांव की समस्या है। हम।सब “महावीर” के अनुयायी है , “जिनशासन” में आस्था रखने वाले जैन धर्मावलंवी है, किसी भी उपसम्प्रदाय से परे आया हुआ उपसर्ग हम सब पर आया उपसर्ग हम सब पर आई विपत्ति है ,उसका निराकरण हम सबका दायित्व है ,यह हमारी सोच और संकल्प होना चाहिए।
वर्तमान विषय कि हमारी बेटियाँ घर से भागकर विजतियों से प्रेम विवाह कर रही हैं ; जैन समाज शिक्षित और प्रगतिशील विचारधारा वाला समाज है जहाँ बेटों और बेटियों में कोई अंतर नही किया जाता , हम बेटियों को भी उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए उच्च शिक्षा एवम कैरियर निर्माण हेतु पूर्ण स्वतंत्रता प्रदान करते है किंतु शायद हम कहीं ऐसी त्रुटि कर रहे हैं कि जिसके परिणामस्वरूप हमारी बेटियाँ अपने शेष जीवन का निर्णय भी स्वयमेव ही लेने लगीं हैं और कई बार तो हम पालक भी उन्हें इसका समर्थन प्रदान कर उनके इस निर्णय में सहमति प्रदान करते है । प्रतिवर्ष ऐसे कई अन्तर्जातीय विवाह बड़े धूमधाम के साथ परिजनों के स्वयं के द्वारा कराए जा रहे हैं , क्या इसे ही आधुनिकता कहना चाहिए?
जहाँ निरन्तर साधुसंतों का निरंतर विहार / प्रवास होता है, धर्म की गंगा बहती है , समाजजन गुरुओं के द्वारा बताए गए “जिनशासन” का पूर्णरुपेण पालन कर रहे हैं ,वहाँ इस तरह की घटनाएं निरन्तर बढ़ रही है ,आखिर क्यों? हम धर्म विशेष में भागकर विवाह करने वाली बेटियों के विषय पर चर्चा क्यों कर रहे है ? क्या उस धर्म विशेष को छोड़कर अन्य किसी भी धर्म / जाति में बेटी के विवाह को लेकर हमारी सहमति है ? क्या ऐसा इसलिए कि वह विजातीय हमारी बेटी के समकक्ष शिक्षित एवम नौकरी कर रहा है अथवा सम्पन्न है ? क्या स्वजातीय जैन लड़का आपकी बेटी की अपेक्षाओं के अनुरूप नहीं है? क्या अन्तर्जातीय विवाह “लव जिहाद” नही है?
मेरे कुछ अनुभव आधारित सुझाव है, जो मैं हम सब पालकों को प्रेषित कर रहा हूँ
1. बेटियों को अन्तर्जातीय/ प्रेमविवाह के दुष्परिणामों के बारे में जानकारी दें
हमें अपनी बेटियों को उन लड़कियों की दुर्दशा के बारे में जानकारी देना चाहिए जो अंतरजातीय विवाह का शिकार हो चुकी हैं। उन्हें बताएं कि वे लड़कियां घर से भाग गई हैं और बाद में अपने माता-पिता और सुंदर धर्म को पीड़ित छोड़कर अन्य धर्म अपना लिया है। बाद में उन भगोड़े लड़कियों को उनके ही प्रेमियों ने मार डाला या वेश्यावृत्ति के लिए बेच दिया। हमारी बेटियों को शिक्षित करें कि अन्य जातियों के प्यार में पड़ने से उनका जीवन दयनीय हो जाएगा।
2. हमारे बच्चों को काल्पनिक कहानियों पर निर्मित फिल्मों में अन्तर्जातीय विवाह के बारे में बताएं
अन्तर्जातीय विवाह के ज्यादातर मामले ऑनस्क्रीन कहानियों से प्रेरित होते हैं जहां एक जैन/हिंदु लड़की एक अन्य जाति के लड़के के साथ भाग जाती है। हमें अपनी बहनों और बेटियों को शिक्षित करना चाहिए कि बॉलीवुड प्रमुख रूप से जाति विशेष के माफियाओं द्वारा वित्त पोषित है। इसलिए, वे अपने धर्म विशेष के, अपने स्वयं के आख्यानों का प्रसार करना चाहते हैं। हमें अपने बच्चों को जिहादी एजेंडा फिल्मों, नेटफ्लिक्स, प्राइम और अन्य ओटीटी प्लेटफॉर्म श्रृंखला से बचने के लिए शिक्षित करना चाहिए।
3. हमारी बेटियों को शिक्षित करें कि अभिनेताओं के वास्तविक जीवन में ऑनस्क्रीन प्रेम प्रसंग सही नहीं हैं
बॉलीवुड सितारों ने हमेशा ऑन-स्क्रीन धर्मांतरण के एजेंडे को बढ़ावा देते देखा है, जहां एक जैन/हिंदू लड़की को एक विजातीय से प्यार हो जाता है और उसकी शादी हो जाती है। हालाँकि, यह उनके वास्तविक जीवन में सच नहीं है। ऐश्वर्या राय को सलमान खान ने छोड़ दिया है। सैफ अली खान ने अपनी पहली पत्नी को तलाक देकर दूसरी हिंदू अभिनेत्री से शादी कर ली है। काजोल ने कभी शाहरुख खान से शादी नहीं की, जिन्हें हमेशा पर्दे पर उनके प्यार में दिखाया गया है। हमें अपने बच्चों को शिक्षित करना चाहिए कि ऑन-स्क्रीन प्रेम कहानियां केवल मनोरंजन के लिए होती हैं जिन्हें वास्तविक जीवन में नहीं दिखाया जाना चाहिए।
4. हमारे बच्चों को बताएं कि हमारी शिक्षा प्रणाली भी पक्षपाती है
जब आप घर पर चर्चा करते हैं, तो हमारी शिक्षा प्रणाली के पक्षपाती पहलुओं पर चर्चा करें। हमारे बच्चों को बताएं कि हमारी पाठ्यपुस्तकों में जैन/हिंदू शासकों की महिमा बहुत कम दिखाई देती है। उन्हें हिंदू एवम जैन दर्शन पर आधरित पुस्तकें पढ़ने की प्रेरणा प्रदान करें । हमारी बेटियों को शिक्षित करें कि ताज प्यार का प्रतीक नहीं है क्योंकि शाहजहाँ की कई पत्नियाँ और प्रेम प्रसंग हैं। यह भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम का एक आख्यान है कि उन्होंने जैन/हिंदू शासकों के बजाय हमारी शिक्षा प्रणाली में केवल मुगल शासकों को अन्यायपूर्ण तरीके से महिमामंडित किया।
5.उन्हें धर्म विशेष की महिला दमनकारी संस्कृति के बारे में बताएं
धर्म विशेष के पास महिला देवताओं की अवधारणा नहीं है। वे महिलाओं को सेक्स के साधन के रूप में इस्तेमाल करते हैं। वे उन्हें पर्दे में ढक कर रखते हैं और उन्हें अपनी अधिकांश इच्छाओं को बोलने के लिए सार्वजनिक रूप से नहीं आने देते हैं। इसलिए, वे अन्य धर्मों की लड़की को उनका धर्म अपनाने के बाद कैसे पनपने दे सकते हैं। यह हमारी बेटियों और बहनों को बताया जाना चाहिए कि अगर वे अपनी महिलाओं को बोलने की अनुमति नहीं देते हैं, तो वे दूसरों को स्वतंत्रता का अभ्यास करने की अनुमति कैसे देंगे।
6. हमारे बच्चों में जिनशासन के ‘शक्तिरूप’ के मूल्यों को स्थापित करें
हमें अपनी बेटियों और बहनों को महासती अंजना के शक्तिरूप रूप से अवगत कराना चाहिए। हमारे बच्चों में स्थापित शक्तिरूप देवी के ये मूल्य जिहादी राक्षसों से लड़ने में उनके आत्मविश्वास को बढ़ाएंगे। आधुनिक दुनिया की। जिस क्षण हमारी बेटियाँ और बहनें शक्तिरूप मूल्यों के ज्ञान में परिपूर्ण होंगी, कोई भी राक्षस उन्हें कभी भी निशाना नहीं बना पाएगा।
7. उन्हें जिनशासन अनुयायी दंपत्तियों के संयमित एवम सुखी वैवाहिक जीवन गाथा के बारे में बतायेँ
“अन्तर्जातीय / प्रेम विवाह के मामले चिंताजनक हैं। हमें अपने बच्चों पर कड़ी नजर रखनी चाहिए। हमें उनके बचपन के दिनों से लेकर उनकी युवावस्था तक उनका साथ देना चाहिए। हमें उन्हें शिक्षित करना चाहिए कि जाति विशेष के लड़के जानबूझकर जैन/हिंदू लड़कियों को उनके नापाक तरीकों से निशाना बनाते हैं। हम निश्चित रूप से दिए गए बिंदुओं का पालन करके अपने लोगों को अन्तर्जातीय/ प्रेम विवाह से बचा सकते हैं।”
एन. के.जैन,इंदौर