घरवालो ने जिन्होंने पाला पोसा बड़ा किया वो बुरे, समाज के लोग बुरे, हिन्दू संगठन वाले तो सबसे बुरे, आखिर में चली गयी बेगम बन कर मोहम्मद वसीम की, 3 साल बाद मर गयी सल्फास खा कर।
“मेरा वसीम सबसे अच्छा है, मैं तो उसी को जीवनसाथी बनाऊंगी ” … फिर त्याग दिया परिवार व रहने लगी वसीम के साथ … अब मिली है उसकी लाश
कीर्ति 3 साल पहले वसीम कुरैशी नाम के लड़के के साथ भाग गई थी और अब तीन दिन पहले खबर आई कि उसने सलफास खाकर आत्महत्या कर ली है।
जब भी ‘ लव जिहाद ‘ के खतरे की बात होती थी तो वह चिढ़ जाती थी। वह कहती थी कि ‘ वह हिंदू मुसलमान को नहीं बल्कि इंसानियत को मानती है ‘ तथा ‘ ये भगवा गमछे वाले लोग लव जिहाद की फालतू की बातें करते हैं। ‘
वह कहती थी कि ‘ मेरा वसीम सबसे अच्छा है, औरों जैसा नहीं है, मैं उसी को अपना जीवनसाथी बनाऊंगी। ‘
उसके परिजनों उसे खूब समझाया लेकिन वह नहीं मानी तथा परिवार को त्यागकर वसीम के साथ रहने लगी। लेकिन अब 3 साल बाद कुछ ऐसा हुआ कि उसे जहर खाकर अपनी जान देनी पड़ी।
मामला मध्य प्रदेश के गुना जिले जहाँ एक जैन कीर्ति लड़की ने मुसलमान समुदाय के युवक से निकाह करने के कुछ साल बाद आत्महत्या करके अपनी जान दे दी। मृतिका के परिजनों ने आरोप लगाया कि ये सब कुछ उससे जबरदस्ती करवाया गया। 11 जुलाई 2021 को परिजनों ने इस बाबत युवक वसीम कुरैशी और उसके परिवार के ख़िलाफ़ मुकदमा दर्ज करवाया है।
कीर्ति 3 साल पहले वसीम कुरैशी नाम के लड़के के साथ भाग गई थी और अब तीन दिन पहले खबर आई कि उसने सलफास खाकर आत्महत्या कर ली है।
मृतका गुना जिले के एक मध्यम वर्गीय परिवार से संबंध रखती थी, लेकिन वसीम के परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं थी। वह कीर्ति के घर से कुछ किलोमीटर की दूरी पर रहता था।
‘ वसीम तब से उसका पीछा करता था जब वह एक नाबालिग थी और बस से स्कूल जाया करती थी। ‘ 3 साल पहले कीर्ति जब 18 साल की पूरी हुई तो वसीम उसे अपने साथ भगा ले गया।
उसके भाई कुलदीप ने बताया कि वसीम उन लोगों से कभी नहीं मिला था। मगर, जब उन्हें कीर्ति के साथ उसके संबंधों का मालूम हुआ तो उन्होंने उसका पता लगाया और मामला कोर्ट पहुँचने से पहले बाहर सुलझा लिया गया।
कुलदीप ने अपनी बहन को समझाने की बहुत कोशिश की थी। उनके समुदाय की साध्वियों ने भी उससे मुलाकात करके उसे समझाया। लेकिन कीर्ति यही दोहराती रही कि वह अब बालिग है और अपनी इच्छा से कुछ भी करने के लिए आजाद है। कुलदीप ने उसे समझाने के लिए ‘लव जिहाद’ के बारे में भी बताया, मगर उस पर वसीम का भूत सवार था।
उसने कहा कि “वह लोग (परिवार वाले) वसीम को जानते ही नहीं हैं। वो तो मीट माँस भी छोड़ने को तैयार था।” कीर्ति ने कहा कि “भले ही वसीम मुस्लिम है लेकिन इस वजह से उसका नाम या जीवनशैली पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
जब कीर्ति के घरवाले नहीं माने तो वह एक बार फिर से घर से भाग गई तथा कोर्ट में बयान दिया कि वह अपनी मर्जी से भागी है। इसके बाद कीर्ति ने जैनब बनकर वसीम से निकाह कर लिया। बाद में उसने अपने घरवालों से संपर्क किया और बेहद परेशान हालत में बताया कि वसीम का परिवार तो बहुत ज्यादा गरीब है और वह खुद भी कुछ नहीं कमाता। जब कीर्ति ने अपने परिजनों को संपर्क किया था उस समय वह गर्भ से थी। उसकी स्थिति जानकर घरवालों ने उसे 2 लाख रुपए डिलिवरी और उसकी तबीयत का ध्यान रखने के लिए दिए। परिजनों ने दोबारा कहा कि अगर वह वसीम को छोड़कर लौटना चाहती है तो आ जाए, वह सब उसके साथ हैं। इसके बाद कीर्ति ने एक बच्ची को भी जन्म दिया। इसके बाद कुछ ऐसा हुआ कि कीर्ति ने जहर खाकर अपनी जान दे दी। मृतका के परिजनों की तहरीर पर पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है तथा जांच कर कार्यवाही की जा रही है।