यह प्रतिमा तीर्थंकर के समवसरण में विराजमान होने की धोतक है, क्यूंकि समवसरण में विराजमान भगवान को दसों दिशाओं से देखा जाता है तो भी भगवान की मुखाकृति स्पष्ट दिखती है ।इस तरह की कलाकृति की प्रतिमाऐं अब नही बनती है।
तीर्थक्षेत्र कमेटी का 125वां स्थापना वर्ष मनाने का शंखनाद ॰ हर...
॰ युवाओं, महिलाओं, उद्यमियों, पत्रकारों, विद्वानों का आह्वान
॰ 22 अक्टूबर 2026 से 22 अक्टूबर 2027 तक मनाया जाएगा तीर्थ संरक्षण महोत्सव
॰ शुरूआत स्थापना स्थल...