यह प्रतिमा तीर्थंकर के समवसरण में विराजमान होने की धोतक है, क्यूंकि समवसरण में विराजमान भगवान को दसों दिशाओं से देखा जाता है तो भी भगवान की मुखाकृति स्पष्ट दिखती है ।इस तरह की कलाकृति की प्रतिमाऐं अब नही बनती है।
शिखरजी में शूटिंग – एक्शन के बाद मांगी माफी, और गाना...
20 जनवरी 2025/ माघ कृष्ण षष्ठी/चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी /
संभवत: 11 या 12 जनवरी को राज भाई वीडियो द्वारा श्री सम्मेदशिखरजी की...