02 दिसंबर 2022/ मंगसिर शुक्ल दशमी /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी
भारतीय संस्कृति से बिल्कुल विपरीत एक नया रिश्ता भारत में कायम होता जा रहा है। जिसका नामकरण किया गया है लिवइन रिलेशनशिप युवक और युवतियां अपनी जरूरतों की पूर्ति हेतु एक दूसरे के साथ बिना किसी बंधन में बंधे हुए रिश्ता निभाने के लिए तैयार हो जाते हैं और उस रिश्ते का नाम दिया गया है लिव इन रिलेशनशिप, हालांकि भारत में इस रिश्ते को अभी तक मान्यता प्राप्त नहीं हुई है।
क्योंकि भारतीय संसद के द्वारा कोई भी ऐसा कानून पारित नहीं किया गया है। जिसमें लिवइन रिलेशनशिप को वैध माना जाए। फिर भी सर्वोच्च न्यायालय के एक निर्णय ने कि लिव-इन रिलेशनशिप के दौरान उत्पन्न हुई संतान को जायदाद में हिस्सा मांगने का अधिकार है और यह उसका हक बनता है से इस रिश्ते को मजबूती मिली है जबकि एक छोटा सा सर्वे किया गया जिसमें यह बात स्पष्ट रूप से निखर कर आती है कि भारतीय संस्कृति और सभ्यता से परे यह रिश्ता अभी तक किसी के गले नहीं उतर रहा है। आइए इस छोटे से अनऑथराइज्ड सर्वे से आपको परिचित कराते हैं।
सर्वे पर आधारित परिणाम निम्न प्रकार रहा।
बिन फेरे मौज मस्ती 48%
संस्कार विहीन 33%
अवैध 10%
रखैल5%
समझौता 2%
कानूनी 1%
उक्त सर्वे में महिलाओं ने भी भाग लिया और अपनी राय रखी।
इस सर्वे से यह स्पष्ट होता है कि भारतीय समाज इस रिश्ते को केवल और केवल युवक और युवतियों की आधुनिक व पाश्चात्य सोच मानता है और इसे बिन फेरे मौज-मस्ती रिश्ता करार देता है। हालांकि 33% लोगों ने इसे संस्कार विहीन मानकर अपना वोट दिया है। कुल मिलाकर देखें तो लिवइन रिलेशनशिप को भारतीय समुदाय द्वारा बिल्कुल नकार दिया गया है यहां इस रिश्ते की अहमियत शून्य नजर आती है। इस रिश्ते के पनपने के कारणों पर भी मंथन करने की आवश्यकता है कुल मिलाकर अगर यह कहे कि लिवइन रिलेशनशिप कोई रिश्ता ही नहीं है तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। ऐसे रिश्तो के कुछ अति गंभीर परिणाम भी समाज के समक्ष आकर खड़े हो रहे हैं। भारतीय संस्कृति और सभ्यता जिसकी तरफ पूरा विश्व निहार रहा है और वही हमारी युवक-युवती उस संस्कृति से दूर होते चले जा रहे हैं। आवश्यकता है उन्हें जागृत करने की।
संजय जैन बड़जात्या कामां
राष्ट्रीय सांस्कृतिक मंत्री,जैन पत्रकार महासंघ